मैं न बिज़नेस के खिलाफ हूँ और न कॉर्पोरेट का विरोधी, अडानी जी पर बोले राहुल
तौकीर सिद्दीक़ी
मैं न बिज़नेस के खिलाफ हूँ और न कॉर्पोरेट के खिलाफ, मैं सिर्फ पूंजी के केन्द्रीकरण के खिलाफ हूँ. अबतक अम्बानी और अडानी को अपने हर भाषण में निशाना बनाने वाले राहुल गाँधी के सुर आज बदले नज़र आये. आज उन्होंने अडानी का नाम लेते हुए उसके आगे ‘जी’ भी लगाया। दरअसल कर्नाटक में इन दिनों चल रही भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता आज पत्रकारों से मुखातिब थे जहाँ पत्रकारों ने उनपर सवालों की बौछार कर दी, इसी बौछार में एक सवाल राजस्थान अडानी ग्रुप के 60 हज़ार करोड़ के भारी भरकम निवेश को लेकर भी उछला जिसपर राहुल गाँधी ने एक मंझे हुए राजनेता की तरह जवाब दिया। राहुल ने कहा कि उनका विरोध बिजनेस या कॉर्पोरेट के खिलाफ नहीं है बल्कि उद्योग जगत में बढ़ती हुई मोनोपोली के खिलाफ है.
हालाँकि इस सवाल को प्रेस कांफ्रेंस कंडक्ट कर रहे जयराम रमेश यह कहकर टालना चाहा कि यह सवाल भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ा नहीं है लेकिन राहुल गाँधी ने जयराम को रोककर इस सवाल का जवाब दिया। राहुल ने कहा कि अडानी ग्रुप को राजस्थान सरकार ने अडानी जी को कोई preferential treatment नहीं दिया है. गेहलोत जी ने अपने पोलिटिकल पावर को यूज़ करके अडानी जी की मदद नहीं की है. मेरा विरोध इस बात का है कि भाजपा सरकार देश के दो तीन उद्योगपतियों को हिंदुस्तान के सारे उद्योगों का एकाधिकारी बना रही है.
राहुल ने आगे कहा कि अगर पूरा का पूरा पोलिटिकल पावर दो या तीन व्यक्तियों की गलत ढंग से मदद करने में लग जायेगा तो इससे पूरे हिंदुस्तान का नुक्सान होगा। राहुल ने इसके साथ ही कहा कि अगर राजस्थान सरकार ने अडानी जी को राजस्थान में गलत ढंग से बिजनेस दिया तो मैं उसके खिलाफ खड़ा हो जाऊँगा, लेकिन अगर यह सब पारदर्शिता और सही ढंग से किया गया है तो फिर मुझे कोई आपत्ति नहीं।
बता दें कि राजस्थान इन्वेस्टर समिट में गौतम अडानी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत की खूब तारीफ की थी, उन्हें त्वरित फैसले लेने वाला मुख्यमंत्री बनाया था. अडानी ग्रुप ने राजस्थान में 60 हज़ार करोड़ रूपये की योजनाओं का प्रस्ताव दिया है. अडानी ग्रुप के एक कांग्रेस शासित प्रदेश में इतने बड़े निवेश को लेकर काफी सियासत शुरू हो गयी है. लोगों का कहना है कि यह अशोक गेहलोत और भाजपा ने मिलकर गेम किया है ताकि राहुल गाँधी को नीचा दिखाया जा सके. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अडानी ग्रुप के इतने बड़े निवेश का राहुल गाँधी चाहकर भी विरोध नहीं कर सकते।