नई दिल्ली: अन्नद्रमुक महासचिव एक ओर सरकार बनाने के लिए विधायकों को अपने पक्ष में रखने के लिए एड़ी-चोटी का बल लगा रही हैं। वहीं, दूसरी ओर पार्टी के भीतर विरोधियों पर सख्त कार्रवाई कर कड़ा संदेश देने की कोशिश कर रही हैं। इसी कड़ी में शशिकला ने शुक्रवार को पार्टी के प्रेसीडियम चेयरमैन ई मधुसूदनन को बर्खास्त कर दिया। इसके जवाब में मधुसूदनन ने शशिकला को महासचिव पद से हटा दिया है।

शशिकला ने चेन्नई में जारी एक बयान में कहा कि मधुसूदनन को पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ जाने और उसकी बदनामी करने के लिए प्राथमिकता सदस्यता के साथ-साथ सभी पदों से बर्खास्त कर दिया गया है। उन्होंने पूर्व मंत्री के ए सेनगोट्टैयन की अन्नाद्रमुक के नए प्रेसिडियम चेयरमैन के पद पर नियुक्ति की भी घोषणा की।

शशिकला ने पार्टी कार्यकतार्ओं से आग्रह किया है कि वे मधूसूदनन के साथ कोई संबंध ना रखें और सेनगोट्टैयन को अपना सहयोग दें। बता दें कि मधुसूदनन ने गुरुवार को पनीरसेल्वम का समर्थन करते हुए कहा था कि अन्नाद्रमुक को बचाने वाले हर शख्स को पनीरसेल्वम का साथ देना चाहिए।

शशिकला महासचिव नहीं: मधुसूदनन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए प्रेसीडियम चेयरमैन होने के नाते शशिकला को महासचिव पद से हटा दिया है। उन्होंने कहा कि महासचिव का चुनाव केवल पार्टी कार्यकर्ता कर सकते हैं। उन्हें अन्नाद्रमुक का महासचिव मानने से इनकार कर दिया है। उन्होंने शुक्रवार को चुनाव आयोग को भेजे आवेदन में शशिकला को बतौर अन्नाद्रमुक महासचिव मान्यता नहीं देने की गुजारिश की है। मधुसूदनन ने पार्टी संविधान का हवाला देते हुए कहा कि महासचिव पद के लिए जरूरी है कि व्यक्ति कम से कम पांच साल से पार्टी का प्राथमिक सदस्य हो।

चिनम्मा ने पहले भी दिखाई ताकत: अन्नाद्रमुक में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए शशिकला (चिनम्मा) ने पहले भी कड़े फैसले किए हैं। उन्होंने पनीरसेल्वम को भी पार्टी कोषाध्यक्ष से हटा दिया था। पनीरसेल्वम का साथ देने से नाराज होकर उन्होंने पार्टी के आईटी विंग के सचिव रामचंद्रण की भी छुट्टी कर दी थी।