गुड़, चना और सहजन में पोषक तत्वों का खजाना
आंगनबाड़ी केंद्रों में स्थानीय व्यंजनों की रैसिपी का प्रदर्शन
गुड़, चना, मूंगफली के लड्डू, दही की कढ़ी और महेरी के फायदे बताए
हमीरपुर
जनपद के आंगनबाड़ी केंद्रों में सोमवार को स्थानीय व्यंजनों पर आधारित रैसिपी का प्रदर्शन किया गया। आसानी से उपलब्ध खाद्य पदार्थों के माध्यम से तैयार होने वाली रैपिसी गर्भवती, धात्री महिलाओं और किशोरियों के लिए किसी रामबाण से कम नहीं।
भरुआ सुमेरपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत कुम्हऊपुर में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता विमला, गायत्री एवं सहायिका गौरा देवी ने स्थानीय खाद्य पदार्थों से निर्मित व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई। इसमें पुआ, मंगौड़ा, खुर्मी, नमकीन, गुलगुल बनाए गए। साथ ही रवा के लड्डू, मूंगफली के लड्डू, पोषक सब्जी और पौष्टिक दालों का भी प्रदर्शन किया गया। सहजन की पत्तियों से परांठे और गुड़, चना से निर्मित व्यंजन भी बनाए गए।
इस मौके पर बाल विकास परियोजना अधिकारी ममता मिश्रा ने बताया कि गांवों में उक्त खाद्य पदार्थ आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इनका सेवन करने से लौह तत्वों की प्राप्त होती है। जिसमें महिलाओं एवं किशोरियों में खून की कमी (एनीमिया) नहीं हो पाता है। दूध, दही, मट्ठे से निर्मित कढ़ी, खीर, महेरी, रायता से कैल्शियम प्राप्त होता है। जिससे बच्चों की हड्डियां मजबूत होती है। अमरूद, गाजर, पपीता, आंवला, लौकी एवं तरोई से विटामिन की प्राप्ति होती है। इस मौके पर ग्राम प्रधान प्रतीम लाल रैदास एवं पूर्व प्रधान उमाशंकर प्रजापति, पंचायत सहायक एवं गांव की महिलाएं, किशोरियों एवं बच्चों ने भाग लिया।
इसी तरह मौदहा ब्लाक के गुरदहा गांव की आंगनबाडी कार्यकर्ता कोमल वर्मा, रीता देवी एवं सुनीता देवी द्वारा रैसिपी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें केंद्र के सभी लाभार्थी गर्भवती, धात्री महिलाओं एवं बच्चों ने प्रतिभाग किया। गर्भवती देवकली ने बताया जिन खाद्य पदार्थों से रैसिपी बनाने के तरीके बताए गए हैं वो सब घरों में रहते हैं। इसे आसानी से बनाया जा सकता है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी शैलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को स्थानीय व्यंजनों की पौष्टिकता से रूबरू कराना था। ग्रामीण जीवन में रोजमर्रा का यही खानपान है। लेकिन बनाने के तरीके अलग हैं। अगर महिलाएं इन तरीकों पर अमल करें तो उन्हें आसानी से घर बैठे ही अच्छा पौष्टिक भोजन मिल सकता है, जो कुपोषण को दूर करने में सहायक है। सहजन लगभग हर गांव में है, उसकी पत्तियों से परांठे बनाए जा सकते हैं जो कि बहुत ही लाभकारी है।