हमीरपुर:
राष्ट्रीय क्षयरोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) को टीबी के विरुद्ध शुरू हुए अभियान के दो दिवसीय प्रशिक्षण का मंगलवार को समापन हो गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.एके रावत ने सीएचओ से अपने-अपने क्षेत्र में टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कर उन्हें इस बीमारी के प्रति जागरूक करने की नसीहत दी। साथ ही कहा कि टीबी रोग को इलाज और परहेज से ही हराया जा सकता है।

जनपद के 81 सीएचओ के दो दिवसीय प्रशिक्षण का प्रारम्भ सोमवार से हुआ था मंगलवार को इस दो दिवसीय प्रशिक्षण का समापन हो गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का अभियान शुरू किया है। इसी के मद्देनजर टीबी रोगियों के समुचित उपचार और उनके पोषण पर काम किया जा रहा है। जमीनी स्तर पर टीबी रोगियों को खोजने और उन्हें समय से उपचारित करने के उद्देश्य से जनपद के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को प्रशिक्षित किया गया है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.महेशचंद्रा ने बताया कि जनपद के सभी 81 सीएचओ को दो बैचों में प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने बताया कि टीबी से सही होने के लिए इसका पूरा उपचार करना होता है। कई बार रोगी बीच में दवा खाना छोड़ देते हैं, जिससे एमडीआर टीबी का खतरा बढ़ जाता है। यह जानलेवा हो सकता है। इसलिए टीबी रोगी को बगैर डॉक्टर के परामर्श के बीच में दवा खाना नहीं छोड़ना चाहिए।

डीआर टीबी के डॉट प्लस ट्रीटमेंट कोआर्डिनेटर (डीपीटीसी) वरुण पाण्डेय ने एमडीआर टीबी के कारणों की विस्तार से जानकारी दी। सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर कमल बाबू सोनकर ने मरीज का चिन्हीकरण और उसे दवा सेवन के तरीकों के बारे में जानकारी दी। जिला कार्यक्रम प्रबंधक राजेंद्र प्रसाद ने भी टीबी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रशिक्षणार्थियों को दी।