लोकतंत्र की गरिमा न गिराये शाह: दीपक
प्रधानमंत्री को समाजवादी चिन्तक ने लिखा पत्र
लखनऊ: समाजवादी चिन्तक व समाजवादी चिन्तन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक मिश्र ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘समाजवाद’ के दुरुपयोग के सन्दर्भ में पत्र लिखकर व्यापक रूप से सोच-समझकर बोलने का आग्रह किया है ताकि लोकजीवन की गरिमा न गिरे। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा फिरोज़ाबाद में सभी समाजवादियों को भ्रष्टाचार में लिप्त होने और कोठियाँ बनाने के कथन की पुरजोर आलोचना करते हुए कहा कि श्री शाह ने जिनकी कोठियाँ देखी है उनका नाम लेकर बयान दें, सभी समाजवादियों पर भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगाना गलत और निंदनीय है। राजनीति में लाखों समाजवादी ऐसे हैं जिन्होंने कभी धनार्जन व धन-संचय नहीं किया, जिन्होंने डा0 लोहिया, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र, रामशरण दास की धारा व परम्परा को आगे बढ़ाया है। अमित शाह जी के इस तरह के अतिरंजित और निरर्थक बयानों से ईमानदार कार्यकर्ताओं को दुःख पहुँचना स्वाभाविक है। अपने अलावा सबको बेईमान, भ्रष्ट व बुरा समझना बुनियादी तौर से फासीवादी सोच है। अमित शाह जी का बयान उनकी फासीवादी सोच को ही प्रतिबिम्बित करता है जो लोकतांत्रिक मूल्यों और तकाजों के लिए घातक है। समाजवादी चिन्तक ने प्रधानमंत्री महोदय से इस तरह के बयानों पर अंकुश लगाने की मांग की है।
श्री मिश्र ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को सम्बोधित पत्र में लिखा है, ‘‘आपने अपने मेरठ चुनावी उद्बोधन में माघ शुक्ल अष्टमी संवत् 2073 तदानुसार फरवरी 04, 2017 को ैब्।ड को व्याख्यायित करते हुए ै का अर्थ ‘‘समाजवादी’’ बतलाया। आप द्वारा ‘‘नरौ वा कुंजरौ वा’’ शैली में बोला गया अर्धसत्य पूरे झूठ से अधिक खतरनाक व निंदनीय है। समाजवादी तो पूरा देश है जो भारतीय संविधान में आस्था रखता है। आप भारतीय समाजवादी गणराज्य के प्रधानमंत्री हैं, आप तो किसी भी दशा में स्वयं को ‘‘समाजवादी’’ होने से इंकार नहीं कर सकते। संविधान की प्रस्तावना में भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बताया गया है। इस तरह आप समेत हर भारतीय समाजवादी है जो आपके भाव-भंगिमा व भाषा के अनुसार भ्रष्ट हुआ।