इन दवाओं के दाम अब मर्ज़ी से नहीं बढ़ा सकतीं दवा कंपनियां
दिल्ली:
फार्मा सेक्टर की सरकारी रेगुलेटर NPPA ने 84 दवाओं की खुदरा कीमतें निश्चित कर दी हैं. इन दवाओं में डायबिटीज, सिरदर्द और हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं शामिल हैं. फार्मा कंपनियां अब अपनी मर्जी से इन दवाइयों के दाम नहीं बढ़ा पाएंगी और एक निश्चित रेट पर ही ये दवाएं बेची जाएंगी. इसके अलावा अन्य दवाएं जिनकी कीमतें तय की गई हैं उनमें कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड का लेवल कम करने वाली दवाएं शामिल हैं.
एनपीपीए द्वारा एक नोटिफिकेशन में दवाओं की कीमतें निश्चित करने के आदेश की जानकारी दी गई है. ऑर्डर के मुताबिक, वोग्लिबोस और (एसआर) मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड के एक टैबलेट की कीमत 10.47 रुपये होगी जिसमें जीएसटी शामिल नहीं है. इसी तरह पैरासिटामोल और कैफीन की कीमत 2.88 रुपये प्रति टैबलेट तय की गई है. इसके अलावा एक रोसुवास्टेटिन एस्पिरिन और क्लोपिडोग्रेल कैप्सूल की कीमत 13.91 रुपये तय की गई है.
सरकार की तरफ से एक लिस्ट बनाई गई है जिसे नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडीसिन्स या एनएलईएम कहा जाता है. इस लिस्ट में वे दवाएं शामिल हैं जो जीवन बचाने के लिए बेहद जरूरी हैं. इन दवाओं के दाम फार्मा कंपनियां अपनी मर्जी से न बढ़ाएं और बेहिसाब मुनाफे का खेल न चले, इसके लिए लिस्ट में आने वाली दवाओं की कीमतें निर्धारित की जाती हैं.
अभी कुछ दवाओं की कीमतें घटाने का आदेश जारी किया गया है जबकि इसी साल अप्रैल महीने में एनपीपीए ने कई दवाओं के रेट लगभग 11 परसेंट तक बढ़ा दिए थे. इससे कई जरूरी दवाएं महंगी हो गईं. इन दवाओं में इसेंशियल और लाइफ सेविंग मेडीसिन भी शामिल हैं. दवाओं के होलसेल प्राइस इंडेक्स को देखते हुए दवाओं की दर में 10.7 परसेंट की वृद्धि की गई जिससे लगभग 800 दवाओं के रेट बढ़ गए.