IMF घटा सकता है भारत की GDP का अनुमान
बिजनेस ब्यूरो
IMF भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए अनुमानित वृद्धि दर में कटौती कर सकता है. भारत में आईएमएफ के वरिष्ठ स्थानीय प्रतिनिधि लुइ ब्रुएर ने मंगलवार को कहा कि धीमी आर्थिक वृद्धि के साथ महंगाई दर में तेज बढ़त के मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में भारत का संशोधित वृद्धि पूर्वानुमान 8.2 प्रतिशत के पुराने अनुमान से कम रह सकता है.
उन्होंने कहा, ‘इस समय आईएमएफ वर्ष 2022 के लिए भारत के वृद्धि पूर्वानुमान को संशोधित कर रहा है और इस दिशा में काम जारी है. इससे पहले मूडीज ने 2022 के लिए विकास दर अनुमान को 9.1 प्रतिशत से घटाकर 8.8 प्रतिशत किया था.
आईएमएफ ने गत अप्रैल में कहा था कि साल 2022 में भारत की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रह सकती है. इसके पहले जनवरी, 2022 में इसने नौ प्रतिशत वृद्धि दर की संभावना जताई थी. इसके साथ ही आईएमएफ ने कहा था कि वर्ष 2023 तक भारत की वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है. ब्रुएर ने कहा कि भारत ऊंची महंगाई दर के साथ निम्न रोजगार की समस्या से जूझ रहा है और रोजगार के नए अवसर पैदा होने के लिहाज से यह कोई अच्छी स्थिति नहीं है. हालांकि उन्होंने कहा कि भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और इस समय रिकवरी के दौर से गुजर रही है. उन्होंने मौजूदा हालात में समाज के कमजोर तबकों को सुरक्षित रखने की जरूरत का ध्यान रखने के साथ ही कर्ज को उच्च दर पर स्थिर रखने का भी आह्वान किया।
आईएमएफ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका और यूरोप के केंद्रीय बैंकों ने बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी करनी शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि कर्ज की लागत बढ़ने का वृद्धि दर पर असर पड़ना लाजिमी है. उन्होंने आशंका जताई कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से भविष्य में ब्याज दरें फिर बढ़ाने की स्थिति में दुनिया भर की पूंजी ऊंचे रिटर्न की उम्मीद में अमेरिका पहुंच जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया अभी कोविड-19 महामारी के चंगुल से पूरी तरह उबर नहीं पाई है. इस बीच दुनिया का कारखाना कहे जाने वाले चीन के कुछ हिस्सों में अभी भी लॉकडाउन लगा हुआ है. उन्होंने कहा, ‘अगर चीन में सुस्ती की स्थिति आती है तो उसका भारत पर भी नकारात्मक असर होगा. अगर चीन के जीडीपी में एक प्रतिशत की गिरावट आती है तो भारत की जीडीपी 0.6 प्रतिशत गिर जाएगी.