सिडबी ने जिला उद्योग केन्द्रों में शुरू की उद्यम संपर्क डेस्क
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी), लखनऊ ने एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) कक्ष, एमएसएमई विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के 35 जिलों में उद्यम संपर्क डेस्क (ईसीडी) शुरू की हैं। इन ईसीडी को स्थापित करने का उद्देश्य आकांक्षी युवाओं को उद्यमिता गतिविधियाँ आरंभ करने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश शासन की एमएसएमई से संबंधित योजनाओं के साथ-साथ बैंकों व सिडबी की सहायता-योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराना है।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन नवनीत सहगल, अतिरिक्त मुख्य सचिव, एमएसएमई एवं निर्यात संवर्द्धन, उत्तर प्रदेश शासन ने किया। अपने उद्घाटन-भाषण में उन्होंने इस बात के लिए सिडबी और ओडीओपी के प्रयासों की प्रशंसा की कि उन्होंने बेरोजगार युवाओं से जुड़कर उन्हें उद्यमिता अपनाने तथा इस नवोन्मेषी पहल के ज़रिए रोजगारदाता बनने को प्रेरित किया है। इससे उभरते हुए उद्यमियों को बैंकों से सम्पर्क करके अपने सपने पूरे करने में मदद मिलेगी। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को सलाह दी कि वे उत्तर प्रदेश शासन का उद्यम सारथी ऐप डाउनलोड करें और उसे ग्रामीण युवाओं में लोकप्रिय बनाएँ।
सिडबी के लखनऊ-स्थित क्षेत्रीय प्रमुख और महाप्रबन्धक मनीष सिन्हा ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। श्री सिन्हा ने बताया कि राज्य सरकार और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर सिडबी द्वारा राज्य के असेवित और अल्पसेवित घटकों के लिए अनेक संवर्द्धनशील और विकासपरक गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं। सही सूचनाएँ प्रदान करने के लिए ईडीसी में उपयुक्त संपर्क-सूत्रों की भूमिका के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इससे युवा पहले की तरह रोजगार माँगनेवाले न बनकर रोजगार पैदा करने वाले बनेंगे।
सिडबी के उप महाप्रबन्धक पी प्रवीण कुमार ने उद्यम संपर्क डेस्क की पृष्ठभूमि और संकल्पना तथा सम्पर्क सूत्रों की भूमिका व दायित्वों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि समस्त प्रक्रिया सिस्टम-संचालित होगी। उत्तर प्रदेश शासन के संयुक्त आयुक्त, उद्योग श्री सुनील कुमार ने सिडबी के प्रयासों की प्रशंसा की और राज्य सरकार के ओडीओपी संबंधी प्रयासों से प्रतिभागियों को अवगत कराया।
सिडबी के उप महाप्रबन्धक श्रीकान्त दास ने धन्यवाद-ज्ञापन किया। उन्होंने प्रतिभागियों का आह्वान किया कि सूचना की कमी को लेकर भावी उद्यमियों के सम्मुख जो भी समस्याएँ आती हैं, उनके निराकरण के लिए अभिमुखीकरण कार्यक्रम में उपलब्ध करायी जा रही सूचना का वे अधिकाधिक उपयोग करें ।