लखनऊ: संस्थान के प्रथम भारतीय निदेशक डॉ विष्णुपाद मुखर्जी की स्मृति में सीएसआईआर-सीडीआरआई ने 15वे बी. मुखर्जी स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया। अतिथियों का स्वागत करने के साथ ही अपने स्वागत भाषण मे निदेशक डॉ मधु दीक्षित ने कहा, डॉ मुखर्जी अपने समर्पण, विजन अऔर कार्यकुशलता के लिए याद किए जाते हैं जिससे संस्थान के मिशन को अपने विकास कालीन चरण में ही एक विशिष्ट आकार प्राप्त हुआ। डॉ मुखर्जी ने स्वतंत्र भारत में औषधि खोज की आधारशिला रखी और औषधि निर्माण विज्ञान मे अपनी रुचि और अनुभवों से राजनेतिक नेतृत्व के समर्थन से सीडीआरआई को गढ़ा।

ग्लोबल हेल्थ एंड इन्नोवशन, सन फार्मा के वरिष्ठ सलाहकार एवं सीडीआरआई के पूर्व छात्र, डॉ अलताफ़ लाल ने यहाँ के अनुभवों को साझा करने के साथ ही बी मुखर्जी स्मृति व्याख्यान मे शोध संस्थानो एवं इंडस्ट्री के साथ मिल कर कार्य करने पर ज़ोर देते हुए कहा, औषधि निर्माण उद्योग के साथ सहयोग का इस संस्थान का एक व्यापक एवं उपयोगी इतिहास रहा है। अब इस बात पर सभी एकमत हैं कि जीनोमिक्स, प्रोटियोमिक्स, स्टेम-सेल रिसर्च, सिस्टम्स बायोलॉजी इत्यादि मे आधुनिक विज्ञान मे तरक्की द्वारा नए और उन्नत चिकित्सकीय उत्पादों को विकसित करने के लिए उद्योग जगत और सरकारी उपक्रम जिनमे शिक्षण सस्थाएं, अनुसंधान संस्थाएं एवं नियामक एजेंसीज भी सम्मिलित हैं, के एक साथ और सकेंद्रित सहयोग की अवश्यकता है। इसी प्रकार क्लीनिकल परीक्षणों हेतु वास्तविक रोग-भार एवं रोग व्यापकता के निर्धारण के लिए बायोमेडिकल अनुसंधानकर्ताओं, एपिडेमियोलोजिस्ट, क्लीनिकल साइंटिस्ट, जनस्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के मध्य सहयोग आवश्यक है साथ ही समन्वय हेतु आवश्यक नीतिगत स्तरों पर वचनबद्धता की भी महती अवश्यकता है।

उन्होने आगे कहा, कि बहुत सी औषधि निर्माण कंपनियों नें जिनमे कुछ भारतीय कंपनियाँ भी सम्मिलित हैं, औषधि खोज एवं विकास हेतु परस्पर अनुबंध किए हैं। यद्यपि भारत मे ऐसे अनुबंध सीमित हैं। आज के प्रतियोगात्मक अनुसंधान और विकास के वातावरण मे सार्वजनिक हित के लिए सूचनाओं को और अधिक व्यापक रूप से साझा करने के लिए वैज्ञानिकों, जनस्वास्थ्य विशषज्ञों, क्लीनिकल शोधकर्ताओं, औषधि निर्माण वैज्ञानिकों, महामारी विज्ञानियों और परियोजना प्रबन्धकों कि अगली पीढ़ी के विकास पर ज़ोर देने की अवश्यकता है। इन सबके सम्मिलित प्रयासों के बिना आज की अवश्यक्ता के अनुरूप जनस्वास्थ्य उपलब्ध कराना मुश्किल है।

अपने अध्यक्षीय भाषण मे सीएसआईआर-सीडीआरआई के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ नित्यानन्द ने डॉ मुखर्जी के संगठनात्मक कौशल, दूरदृष्टि के माध्यम से सीडीआरआई को औषधि अनुसंधान पर अग्रणी केंद्र का दर्जा दिलवाने मे उनके योगदान की सराहना की साथ ही डॉ अलताफ़ लाल के विचारों का स्वागत करते हुए उनके उद्योग एवं अन्य शोध संस्थानो के साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता का समर्थन किया।