सपा-कांग्रेस का मिलन घोर स्वार्थ की राजनीति का परिणाम: मायावती
लखनऊ: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) व कांग्रेस पार्टी के उत्तर प्रदेश में चुनावी गठबंधन को दोनों पार्टियों के घोर स्वार्थ की राजनीति का परिणाम बताते हुये कहा कि ’दिल मिले ना मिले, हाथ मिलाते रहिये’ के छलावे की तर्ज़ पर इस प्रकार की नुमाइशी गठबंधन से अप्रत्यक्ष तौर पर ग़रीब, मज़दूर, किसान-विरोधी व बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों की समर्थक-बीजेपी को ही फ़ायदा पहुँचाना एक साज़िश है, जिससे प्रदेश की आमजनता को इनके बहकावे में नहीं आकर काफी सतर्क रहने की ज़रूरत है।
कांग्रेस पार्टी व सपा के नेतृत्व द्वारा आज आयोजित संयुक्त प्रेस कांफ्रेन्स व रोड शो आदि पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि वैसे तो सपा-कांग्रेस के इस गठबंधन को बीजेपी को यहाँ सत्ता में आने से रोकने के लिये उठाया गये कदम के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, परन्तु यह पूरी तरह से छलावा है। वास्तव में यह गठबंधन एक नापाक गठबंधन है जो बीजेपी के अपने नफे-नुकसान को देखते हुये, उसी के इशारे पर, बी.एस.पी. को यहाँ सत्ता में दोबारा पूर्ण बहुमत से जीत की सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय की सरकार बनाने से हर कीमत पर रोकने के प्रयास के तहत ख़ासकर सपा के प्रयास से ही किया गया है।
वैसे तो यह सर्वविदित ही है कि सपा का नेतृत्व सी.बी.आई. के मार्फत बीजेपी के शिकंजे में है। यह बात स्वयं सपा के पूर्व प्रमुख श्री मुलायम सिंह यादव भी बार-बार सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं। इसके अलावा सपा और बीजेपी की आपसी मिलीभगत भी किसी से छिपी नहीं रही है, जिस कारण ही यहाँ उत्तर प्रदेश में पिछले पाँच वर्षों तक गुण्डों, बदमाशों, माफियाओं, भ्रष्टाचारियों, अराजक, आपराधिक व साम्प्रदायिक तत्वों का पूरी तरह से ’जंगलराज’ रहा, जिस कारण पूरे प्रदेश में चोरी, डकैती, हत्या, लूटमार, फिरौती, अपहरण, व्यापारियों व महिलाओं का उत्पीड़न व शोषण, गुण्डा टैक्स वसूली, सरकारी व गैर-सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा तथा साम्प्रदायिक दंगे व तनाव आदि की घटनायें अपनी चरम सीमा पर रही और इसी वजह से आमजनता का जीवन काफी ज्यादा बदहाल व परेशान रहा और हर तरफ त्राहि-त्राहि मची रही।
इस प्रकार उत्तर प्रदेश सपा सरकार में काम कम और अपराध व साम्प्रदायिक दंगे ही ज़्यादा बोलते रहे है, फिर भी कांग्रेस पार्टी मुँह की खाने को तैयार है तो इसे अवसरवाद की राजनीति नही ंतो और क्या कहा जायेगा?
और इस प्रकार के व्यापक अराजक व जंगलराज के कारण सपा सरकार का मुखिया एक ’’दागी चेहरा’’ घोषित हुआ, परन्तु अब कांग्रेस पार्टी उसी जंगलराज व अराजकता वाली पार्टी व उसके दागी चेहरे को अपना चेहरा बनाकर व उसके आगे घुटने टेक कर गठबंधन करके यहाँ विधानसभा का आमचुनाव लड़ रही है। यह अवसरवादी राजनीति व बी.एस.पी. के खिलाफ साज़िश नहीं तो और क्या है? साथ ही, सन् 2013 के मुज़फ्फरनगर के भीषण साम्प्रदायिक दंगों की दोषी वर्तमान सपा सरकार के साथ कांग्रेस पार्टी का गठबंधन उसी प्रकार से घिनौनी राजनीति है जैसाकि सन् 2002 के गुजरात में नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा प्रायोजित भीषण साम्प्रदायिक दंगे की सरकार को सब कुछ माफ करके उसके साथ समझौता करके चुनाव लड़ना।
ऐसा करके कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश में उसके अपने शासनकाल में हुये भीषण मुरादाबाद व मेरठ के हाशिमपुरा-मलियाना आदि दंगों की भी याद लोगों के ज़ेहन में ताज़ा कर दी है, जिसे आज तक भी नहीं भुलाया जा सका है और न ही इन मामलों में दोषियों को सजा व पीड़ितो को न्याय ही मिल पाया है अर्थात साम्प्रदायिक दंगों के मामलों में बीजेपी, कांग्रेस व सपा सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे बने हुये है, जबकि इन दंगों में जान-माल व मज़हब का असली नुक़सान हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों की ग़रीब व मासूम आमजनता का ही होता है।