बाराबंकी सदर सीट पर बसपा बन सकती है सपा की राह मे रोड़ा
फहीम सिद्दीक़ी
बाराबंकी: बाराबंकी की सदर विधानसभा सीट पर मुकाबला भले ही भाजपा व सपा के बीच बताया जा रहा है लेकिन हाँथी की हुंकार ने दोनों दलों को काफी चिंतित कर दिया है। दो दलों के उम्मीदवार देर से टिकट पाकर मैदान में उतरे,उसके बाद दोनों ने रफ्तार पकड़ी पर तब तक बसपा उम्मीदवार ने सदर सीट को एक हद तक मथ डाला था। यही नहीं उन्हें व्यापक चर्चा भी मिल गई, इसलिए यह कहना कि सीट सपा के लिए आसान साबित होगी, कत्तई जल्दबाजी होगी। बसपा को छोड़कर कोई दल भितरघात से बच नही सका।
सदर विधानसभा सीट पर निश्चित ही सपा ने पिछले दो चुनाव मे लगातार दो बार बाजी मारी है और एक बार फिर टिकट उसी प्रत्याशी को मिलने की दशा में हैट्रिक तय मानी जा रही थी। लेकिन सबकुछ समीकरण ही नही होता। हालात भी बहुत कुछ तय कर देते हैं। भले ही भाजपा से किसी यादव बिरादरी के उम्मीदवार की आस पूरी न हो सकी हो पर घोषित उम्मीदवार की जगह उनकी पत्नी को लड़ाने का फैसला भी बेकार नही गया। रात दिन एक कर भाजपा की उम्मीदवार डॉ रामकुमारी मौर्य, उनके पति अरविंद मौर्य व भाजपा संगठन ने मेहनत के बल पर खुद को लड़ाई में ले आये। वहीं उन्हें वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों का भी काफी सहारा मिला है। जबकि सपा के प्रत्याशी धर्मराज यादव उतना मजबूत नही रहे फिर भी देर से उम्मीदवारी का ऐलान व बदले हालात का सामना करके भी सपा प्रत्याशी ने माहौल बनाने में सफलता पा ली।
सपा व भाजपा दो पक्षीय मुकाबले का मैदान तैयार कर लेते पर शुरुआत से ही हांथी रह रह कर कैंची दांव चलता रहा। चुनाव की अधिकृत शुरुआत के काफी समय पहले से बसपा ने उम्मीदवार उतारा, वहीं डॉ विवेक ने दौड़भाग में सभी को पीछे छोड़ दिया, उन्होंने चर्चा में आने के हर प्रयोग को अंजाम तक पहुंचाया और उन्हें एक ऐच्छिक मुकाम मिल भी गया। अब कम समय मे भी मेहनत के बलबूते डॉ विवेक को मिली चर्चा विजय में बदले या नही पर वह सपा भाजपा के लिए गले की फांस जरूर बन गए हैं। समीकरण की ओट से देखें तो उनकी स्थिति कम मजबूत नही, कुर्मी बिरादरी का होने के चलते बसपा के मूल वोट के साथ ही कुर्मी मतों का काफी सहारा मिला। मुस्लिम ने भी उन्हें पसंद किया। अब बची कांग्रेस, तो धन बल से मजबूत उम्मीदवार रुही अरशद ने कम समय मे काफी मेहनत की पर वह आधार वोट से विहीन दल के प्रत्याशी के तौर पर मुस्लिम मत बटोरने से अधिक कुछ नही कर सकी। अब अगर यह कहा जाए कि इस सीट पर मुक़ाबला त्रिकोणीय हो गया है तो गलत न होगा। वैसे भी नतीजे आने मे अब महज कुछ दिन ही बचे हैं, चमत्कार से इनकार नही किया जा सकता।