सपा से गठबंधन में प्रियंका के दखल से कांग्रेसियों के चेहरे खिले
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के दखल के बाद समाजवादी पार्टी से गठबंधन ने कांग्रेस में हलचल तेज कर दी है। कांग्रेस नेता एक बार फिर से प्रियंका को सक्रिय में राजनीति में लाने की चर्चा करने लगे हैं। कुछ नेताओं का मानना है कि जिस तरह से उन्होंने यूपी की स्थिति को संभाला है उससे 2019 के लोकसभा चुनावों में वे कांग्रेस का चेहरा बन सकती हैं। माना जा रहा है कि वे अपनी मां सोनिया गांधी की सीट राय बरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। सोनिया खराब सेहत के चलते जूझ रही हैं। सोमवार (23 जनवरी) को कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से माना कि प्रियंका की वजह से ही सपा से गठबंधन हो सका। अभी तक कांग्रेस के आला नेता प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने की बात करने से कतराते रहे हैं। हालांकि यूपी में स्थानीय स्तर पर उन्हें लाने की मांग उठती रही है।
सोनिया गांधी ने अपना पहला चुनाव 1999 में अमेठी से लड़ा और जीता था। 2004 में वह रायबरेली चली गईं और अमेठी से राहुल गांधी लड़ने लगे। यह दोनों सीटें गांधी परिवार का गढ़ मानी जाती हैं। मां सोनिया और भाई राहुल के चुनाव का काम प्रियंका ही देखती हैं। यहां पर चुनाव प्रचार का जिम्मा उनके पास ही है। कहा जा रहा है कि प्रियंका राय बरेली से ही अपनी सक्रिय राजनीति की शुरुआत कर सकती हैं। इंदिरा गांधी भी इसी सीट से चुनाव लड़ा करती थी। प्रियंका और इंदिरा की अकसर तुलना की जाती रही है।
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी में कई स्तर पर नेतृत्व में बदलाव हो सकता है। राहुल गांधी के जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष बनने की संभावना जताई जा रही है। पिछले दिनों सोनिया गांधी की गैर मौजूदगी में उन्होंने कांग्रेस की दो अहम बैठकों की अध्यक्षता की थी। माना जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस में बड़ा फेरबदल संभावित है। नई टीम को 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले तैयारी के लिए दो साल का समय मिल जाएगा। सोनिया के खराब स्वास्थ्य ने राहुल की प्रियंका पर निर्भरता बढ़ा दी है। अगर प्रियंका सक्रिय रूप से राजनीति में आती हैं तो वे संगठन की जिम्मेदारी संभाल सकती है। इससे राहुल के पास नेतृत्व की जिम्मेदारी होगी।