मायावती ने विरोधी पार्टियों को बताया पाखण्डी और नाटकबाज़
टीम इंस्टेंटखबर
मायावती ने अपने प्रेस नोट में कहा है कि विरोधी पार्टियों द्वारा यूपी विधानसभा आमचुनाव में एक बार फिर से लोगों को अपनी हवाहवाई बातों व वादों के माध्यम से लुभावने व वरगलाने को नाटकबाजी व पाखण्ड बताते हुए कहा कि केवल बी.एस.पी. का कड़ा संकल्प यूपी में भाजपा की संकीर्ण व हिंसक प्रवृति वाली गरीब-किसान विरोधी गैर-कल्याणकारी सरकार को हटाकर यहाँ प्रदेश को गड्डा, हिंसा व दंगा-मुक्त तथा रोजी-रोजगार एवं विकास-युक्त भरोसेमन्द सरकार दे सकती है। यह एक सुखद परिवर्तन होगा क्योंकि यूपी की जनता जीने के लिए हर दिन जितना तनाव, दुःख-दर्द व संघर्ष झेल रही है वह अभूतपूर्व है।
मायावती ने कहा कि सभी जानते हैं है कि यूपी के करोड़ों लोग केन्द्र व यूपी में इनकी अंधभक्त सरकार की गलत नीतियों व संकीर्ण जातिवादी एवं साम्प्रदायिक कार्यकलापों के कारण यहाँ बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व रोज़ी-रोटी की तलाश में पलायन की मजबूरी, अराजकता की अशान्ति आदि से त्रस्त बुरे दिन से मुक्ति के लिए बेचैन लगते हैं और जिस कारण बीजेपी को यहाँ यूपी में अपनी सत्ता जाती हुई दिख रही है। ऐसे में सर्वसमाज के लोगों को ’सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ की नीतियों पर चलने वाली उनकी आज़माई हुई बी.एस.पी. पर ही ज्यादा भरोसा है कि वही उनके अच्छे दिन लाने में जरूर मददगार साबित हो सकती है। इतना ही नहीं बल्कि यूपी की तरह पंजाब व उत्तराखण्ड राज्य की जनता भी क्रमशः कांग्रेस व भाजपा से मुक्ति का सुखद परिवर्तन चाहती है।
बी.एस.पी. का संकल्प उन्हीं की दिली तमन्ना के अनुसार यूपी की अभी की तस्वीर को बदलना है अर्थात् प्रदेश को एक कल्याणकारी सरकार की तरह काम करते हुए यहाँ पूरे प्रदेश को गड्डा-मुक्त, दंगा-मुक्त तथा रोजगार बढ़ाने वाला विकास-युक्त बनाना है।
उल्लेखनीय है कि खासकर चुनाव के समय में विरोधी पार्टियों की आपाधापी की खर्चीली राजनीति तथा अनाप-शनाप बयानबाजी अब लोगाों में जिज्ञासा के बजाय आक्रोश पैदा कर रही है, क्योंकि उनकी इस प्रकार की बातों से लोगों की गरीबी, बेरोजगारी, हिंसा, तंगी-महंगाई व अशान्ति आदि की मूल समस्या का लम्बे समय से कोई हल नहीं निकल पा रहा है। ऊपर से जले पर नमक छिड़कने के लिए केन्द्रीय बजट के माध्यम से लोगों को आज के भूख, प्यास, गरीबी व दरिद्रता आदि के लाचार जीवन के पीड़ा की चिन्ता करने के बजाय उन्हें इसी हाल में जीने को कहा जा रहा हैं। यह सब अति-दुःखद नही तो क्या?
देश के धन, सम्पत्ति व संसाधनों पर उनके मुट्ठी भर चहेते लोगों ही काबिज होते चले जा रहे हंै, जबकि देश में परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का पवित्र संविधान इसकी कतई भी इजाज़त नहीं देता। संविधान देश के समस्त गरीबों, मजदूरों, किसानों, अन्य मेहनतकश लोगों एवं मजलूमों की हर प्रकार से हिमायत करता है, किन्तु केन्द्र में चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में भाजपा की, कोई इसे ईमानदारी से मानने व उस पर अमल करने को तैयार नहीं है। इसीलिए गरीब, मजदूर व किसान-विरोधी नीति आदि के मामले में कांग्रेस व भाजपा एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। इनके धोखे में आपको बार-बार नहीं आना चाहिए।
इसी प्रकार भाजपा, सपा व कांग्रेस आदि के जनविरोधी रवैयों व कार्यकलापों से बहुजन समाज व अपरकास्ट समाज के करोड़ों गरीब लोग हमेशा ही पीड़ित, आहत्, दुःखी व त्रस्त रहे हैं, यह उन्हें नहीं भूलना चाहिए। आज की हर प्रकार की दुर्दशा के लिए ये सभी पार्टियाँ ही ज्यादातर कसूरवार व जिम्मेदार हैं। इसीलिए चुनाव मंें बार-बार धोखा कतई अकलमन्दी नहीं है।