राजेश सचान के खिलाफ पुलिस प्रशासन की अनावश्यक बयानबाजी पर लगे रोक
आइपीएफ ने भेजा अपर मुख्य सचिव (गृह) और डीजीपी को पत्र
लखनऊ: युवा मंच संयोजक राजेश सचान के बारे में प्रयागराज पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार की जा रही है अनावश्यक बयानबाजी के खिलाफ आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने अपर मुख्य सचिव (गृह) और महानिदेशक पुलिस को पत्र भेजकर राजेश सचान के राजनीतिक जीवन के बारें में अपने स्तर से जांच कराने और पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही अनावश्यक बयानबाजी पर रोक लगाने की मांग की है।
पत्र में कहा गया कि प्रयागराज पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार राजेश सचान के बारे में अनावश्यक बयानबाजी की जा रही है जबकि उनका प्रकरण न्यायालय के अधीन है। राजेश सचान के चरित्र को इस तरह से दिखाया जा रहा है मानो वह अपराधी या आतंकवादी हो। उनके राजनीतिक जीवन को सनसनीखेज बनाया जा रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि राजेश सचान का 20 साल से भी ज्यादा का राजनीतिक सामाजिक जीवन है और उनका सामाजिक सरोकार बहुत गहरा रहा है। वह एक पूर्णकालिक राजनीतिक कार्यकर्ता है। उनकी पत्नी कर्नलगंज कोतवाली के बगल में सबद प्रकाशन चलाती है जिसमें राजेश सचान भी हिस्सा लेते है और उसी की आय से उनके परिवार का खर्चा चलता है। इस समय वह प्रयागराज में युवाओं के लोकप्रिय संगठन युवा मंच के संयोजक है जो विगत चार महीनों से प्रयागराज में शांतिपूर्वक लोकतांत्रिक ढंग से रोजगार अधिकार आंदोलन चला रहा है और उनका आंदोलन पूरी तौर पर पुलिस और प्रशासन प्रयागराज के संज्ञान में है। राजेश सचान आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राज्य समिति के सदस्य है। राजेश सचान मोतीलाल नेहरू इंजीनियरिंग के छात्र रहे है और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने एमए किया है, वह आइसा के छात्रनेता थे।
ज्ञातव्य है कि राजेश सचान को 26 जनवरी 2022 को फर्जी और मनगढंत आरोपों में प्रयागराज पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है और उनकी गिरफ्तारी में जिस गूगल मीट का जिक्र किया गया है उसमें ऐसी कोई बात नहीं है जो छात्रों को उकसाती या भड़काती हो। 25 जनवरी 2022 के छात्रों के रेलवे ट्रैक पर किए प्रदर्शन में भी राजेश सचान की उपस्थिति नहीं रही है। यदि पुलिस एक भी वीडियों या फोटो उनकी उपस्थिति की दिखा दे तो हम अपनी आपत्ति वापस ले लेंगे।