क़स्बा फ़तेहपुर: जनप्रतिनिधि बदलते रहे लेकिन शहर की समस्याएं जस की तस
फहीम सिद्दीक़ी
चुनाव दर चुनाव जनप्रतिनिधि तो बदलते रहे लेकिन कुर्सी विधानसभा 266 के अंतर्गत आने वाले क़स्बा फ़तेहपुर की मूलभूत समस्याएं जस की तस है। इस कस्बे के नागरिकों ने किसी भी राजनीतिक दल को मायूस नही किया और सभी मुख्य राजनीतिक दलों को अपना जन प्रतिनिधि बनाया लेकिन जिन उम्मीदों पर जन प्रतिनिधि बनाया उस पर कोई पूरी तरह खरा नही उतरा। कस्बे से जुड़ी 3 मुख्य समस्याएं है बायपास ,स्थायी बस स्टॉप एवं मुंसिफ कोर्ट।
2007 मे यहाँ की जनता ने बीएसपी की प्रत्याशी मीता गौतम के वादों पर भरोसा करके अपना जन प्रतिनिधि चुना और उनके दल ने प्रदेश मे सरकार बनाई आशा जगी की अब समस्याए दूर होंगी लेकिन सत्ता दल की विधायक होने के बावजूद मुख्य तीनो समस्याओं मे से किसी एक का निराकरण नही करा पाई और 5 वर्ष बीत गए।
2012 के चुनाव में मीता गौतम को सबक सिखाते हुए जनता ने उनके स्थान पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी हाजी फरीद महफूज़ किदवाई पर भरोसा करके अपना जनप्रतिनिधि बनाया। समस्या दूर होने की उम्मीद तब और बढ़ गई जब फरीद महफूज़ को अखिलेश सरकार मे मंत्री पद को सुशोभित करने का अवसर मिला लेकिन एक अदद महिला पॉलिटेकनिक की सौगात देने के अलावा बायपास स्थायी बस स्टॉप और मुंसिफ कोर्ट कस्बावासियों को 5 साल के कार्यकाल मे मंत्री रहते हुए भी नही दिला पाए. जनता को निराशा हाथ लगी, नाराज जनता ने 2017 के चुनाव मे बी जे पी के साकेन्द्र वर्मा को अपना जनप्रतिनिधि बनाया और आशा की कि वह यहाँ कि सबसे बड़ी समस्या हर घण्टे लगने वाले जाम से निजात दिलाने के लिए बायपास का निर्माण जरूर करवाएंगे लेकिन उनका भी कार्यकाल लगभग खत्म होने को और शहर की समस्याएं जस की तस बनी हुई है।
गौर करने वाली बात यह है कि पिछले 3 चुनाव 2007, 2012 एवं 2017 मे जिस दल के प्रतिनिधि ने यहाँ जीत हासिल की प्रदेश की सत्ता पर उसी दल का कब्ज़ा भी हुआ। 2022 के चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका 5वें चरण यानी 27 फरवरी को यहाँ की जनता एक बार फिर से इस आशा और उम्मीद के साथ मतदान करेगी कि इस बार चुन कर जाने वाला जन प्रतिनिधि क़स्बा वासियों को स्थायी बस स्टॉप,मुंसिफ कोर्ट एवं जाम से निजात दिलाने के लिए बायपास का निर्माण करवाएगा।