नई दिल्‍ली। भाजपा की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के लिए घोषित 213 की सूची को देखने के बाद पार्टी का नया नारा, "सबका साथ, सबका विकास" बेमानी लगता है क्योंकि इस सूची में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी का नाम नज़र नहीं आ रहा है जबकि इस सूची में संभल , अमरोहा, रामपुर, मुरादाबाद, बदायूं , देवबंद और कैराना की सीटें भी हैं जहाँ मुसलमान बहुसंख्या में हैं।

बीजेपी ने यूपी में 149 और उत्‍तराखण्ड में 64 उम्‍मीदवारों की पहली सूची जारी की पर इसमें किसी भी मुस्‍लिम को टिकट नहीं दिया गया है। ये स्थिति तब है जबकि पार्टी में लंंबे समय से अल्‍पसंख्‍यक मोर्चा भी सक्रिय है। संघ के अधीन रहकर मुस्‍लिम राष्‍ट्रीय मंच भी कहीं न कहीं जमीन पर भाजपा की ही मदद करता है। पीएम मोदी भी अक्‍सर अपने भाषणों में मुस्‍लिमों को सुरक्षा का भरोसा देते हुए भाजपा को मुस्‍लिम हितैषी बताने की कोशिश करते रहे हैं।

यूपी-उत्‍तराखण्‍ड सहित 213 उम्‍मीदवारों की सूची में एक बार फिर भाजपा ने भरोसा जताने के मौके पर मुस्‍लिमों को मायूस किया है। 2012 के यूपी विधानसभा चुनावों में भी सिर्फ एक मुस्‍लिम को ही बदायूं से टिकट दिया गया था। इसके अलावा भाजपा को 403 विधानसभा सीट वाले यूपी में एक भी ऐसा मुस्‍लिम नहीं चेहरा नहीं मिला था जिसे वह चुनाव मैदान उतार सके।

इस बार भी पश्‍चिमी उत्‍तर प्रदेश के दो चरणों से संबंधित उम्‍मीदवारों की सूची जारी हो चुकी है, लेकिन पार्टी को कोई भरोसे वाला मुस्‍लिम चेहरा नहीं मिला। जबकि सियासी जानकारों की मानें तो यूपी में पश्‍चिमी उत्‍तर प्रदेश एक ऐसा क्षेत्र है जहां सबसे ज्‍यादा मुस्‍लिम रहते हैं।

2011 की जनगणना के अनुसार संभल में 77.67, अमरोहा में 73.80, रामपुर में 50.57, मुरादाबाद में 46.79, बदायूं में 43.94, देवबंद में 71.06 और कैराना शहर में 80.74 प्रतिशत मुस्‍लिम रहते हैं। साथ ही एक दर्जन से अधिक ऐसी सीटें भी हैं जहां किसी भी पार्टी संग मिलने पर मुस्‍लिम वोट निर्णायक की भूमिका में आ जाते हैं। लेकिन यहां भी पार्टी को एक अदद मुस्‍लिम उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में खड़ा करने को नहीं मिला।

इस बारे में भाजपा अल्‍पसंख्‍यक मोर्चा के यूपी प्रदेश अध्‍यक्ष हैदर अब्‍बास चांद बताते हैं कि सिर्फ संभल और मुरादाबाद से दो मुस्‍लिम उम्‍मीदवारों ने टिकट मांगा था । लेकिन किसी वजह से उन्‍हें टिकट नहीं दिया जा सका। वहीं जो मुस्‍लिम आबादी वाले विधानसभा क्षेत्र हैं वहां से किसी मुस्‍लिम ने पार्टी से टिकट मांगा ही नहीं।