निजी अस्पतालों में सी-सेक्शन प्रसव का खेल, हर दूसरी गर्भवती का ऑपरेशन
टीम इंस्टेंटखबर
देश में निजी अस्पतालों में गर्भवतियों के ऑपरेशन से प्रसव के मामले अब सवालिया निशान तक पहुँच चुके हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों से पता चला है कि इन अस्पतालों में हर दूसरी गर्भवती का प्रसव ऑपरेशन से हो रहा है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, आंकड़ों से पता चलता है कि देशभर के निजी अस्पतालों में सी-सेक्शन की यह संख्या 2014-15 में 17.2 फीसदी से बढ़कर 2019-20 में 21.5 फीसदी हो चुकी है। इसका मतलब है कि निजी या सार्वजनिक अस्पतालों में जाने वाली पांच में से एक महिला सी-सेक्शन से गुजरती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सी-सेक्शन की आदर्श संख्या 10-15 फीसदी तक रहनी चाहिए. जब यह दर 10 फीसदी तक बढ़ जाती है, तो मां और नवजात की मौत की संख्या कम हो जाती है। जब दर 10 फीसदी से अधिक हो जाती है, तो इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मृत्यु दर में सुधार होता है।
कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के निजी अस्पताल सी-सेक्शन के माध्यम से 10 में से सात या आठ प्रसव करते हैं। इनमें पश्चिम बंगाल (82.7 फीसदी), जम्मू और कश्मीर (82.1 फीसदी), तमिलनाडु (81.5 फीसदी), अंडमान और निकोबार (79.2 फीसदी) और असम (70.6 फीसदी) शामिल हैं।
असम में ऐसे ऑपरेशनों की दर में 17.3 फीसदी की बढ़ोतरी होकर 70.6 फीसदी पहुंच चुकी है. वहीं, ओडिशा में 17 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 70.7 फीसदी, पंजाब में 15.8 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 55.5 फीसदी, तमिलनाडु में 12.5 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 63.8 फीसदी और कर्नाटक में 12.2 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 52.5 फीसदी हो गई है।