या गौस अल मदद के नारे से गुजी फिज़ा
लखनऊ:ऑल इण्डिया मोहम्मदी मिषन के जेरे एहतेमान हज़रत गौसुल सकलैन कुतुब-ए-रब्बानी महबुबे सुबहानी गौसुल आज़म मुहिउद्दीन शेख सैयद अब्दुल कादिर जिलानी बडे़ पीर दस्तगीर के नाम से मनसूब ग्यारहवी शरीफ के मौके पर जुलूस-ए-गौसिया अपनी रिवायती अन्दाज़ व शानो शौकत के साथ निकाला गया। यह जुलूस दरगाह हज़रत शाहमीना के आस्ताने से बरामद होकर शाहमीना चौराहा होता हुए, वाया शाहमीना मार्ग होकर मेडिकल कालेज परिसार के अन्दर स्थित दरगाह हजरत हाजी हरमैन शाह के आस्ताने पहुचकर सम्पन्न हुआ।
जुलूस में सबसे आगे काज़ी-ए-शहर अबुल इरफान मियॉ फिरंगी महली, मिशन के अध्यक्ष सैयद अयूब अशरफ किछौछवी, मिशन के उपाध्यक्ष शाकिर अली मिनाई, सैयद इकबाल हाशमी, डॉ एहसानुल्लाह, मुम्ताज खान, सेक्रटरी सैयद अहमद नदीम, सैयद मोहम्मद अहमद मियॉं किछौछवी, हज़रत मौलाना सैयद अबुबकर शिब्ली अशरफ किछौछवी, मौलाना अमान अतीक, फैजान अतीक फिरंगी महली सैयद मोहम्मद अरशद, मौलाना जाकिर हुसैन, मौलाना मुन्नवर हुसैन बस्तवी व हज़ारो की संख्या में फरजन्दाने इस्लाम, शहर की अन्जुमान, बुजुकाने दीन से अकीदत रखने वाले सभी सम्प्रदाय के लोगों ने अकीदत व एहतेराम के साथ शिरकत की।
जुलूस-ए-गौसिया की कायदत शहर काज़ी मुफती अबुल इरफान मियॉं फिरंगी महली, व ऑल इण्डिया मोहम्मदी मिशन अध्यक्ष सैयद अयूब अशरफ किछौछवी की। जुलूस में शिरकत करने के लिए सुबह से लोगों का आने का ताता लगा हुआ था। लोग बैनर, झण्डे, घोण्डे, बग्गीयों से दरगाह हज़रत मख्दमू शाहमीना पहुचे जहॉ 10 बजे जश्न-ए-गौसुलवराह का कार्यक्रम अपने तय शुदा वक्त से शुरू हो गया, जश्न कि शुरूआत कारी आरिफ रज़ा रजवी ने तिलावते कुआर्ने पाक से की, आई हुई अन्जुमनों ने नात व मनकबत का शानदार नज़राना पेश निजामत के फारएज़ मौलाना जाकिर हुसैन अशरफी ने अन्जाम दिया।
काजी-ए-शहर मुफती अबुल इरफान मियॉ फिरंगी महली ने अपने खेताब में कहा कि हज़रत शेख अब्दुल कादीर जिलानी ने इशाआते दीन और लोगों की इस्लाह के लिए खुद को हमेशा मशगूल रखा कुआर्न, हदीस व अपनी जिन्दगी के सुबह व शाम से लोगों के जेहन व फिक्र को दीने इस्लाम की रह पर मोड़ दिया उनकी जिन्दगी लोगों के लिए मशअले राह है यही वजह है आज भी कादीरी सिलसिला दुनिया इस्लाम में मौजुद है।
ऑल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के अध्यक्ष सैयद अयूब अशरफ किछौछवी ने खिताब करते हुए कहा कि हज़रत गौसे आज़म कि पैदाइश माहे रमज़ान की एक तारीख 471 हिजरी में हुई थी पैदाईश से ही रोजे की हालत में रहते थे। और 11 तारीख को जश्न -ए-ईद मीलादुन्नबी हमेशा मनाया करते थे आप कि इस मोहब्बत व जज़्बे का उनको यह इनाम मिला की आज दुनिया इस्लाम 11वी शरीफ उनके नाम से मनाती है।
मौलाना हज़रत सैयद अबुबक्र शिब्ली ने अपने खुसूसी खिताब में गौसे पाक की जिन्दगी पर रोशनी डालते हुए कहा कि उन्होंने चोरी की नियत से आए हुए इन्सान को कुतुब बनाकर दुनिया को यह पैगाम दिया कि अब्दुल कादीर अल्लाह कि तौफिक से जिसको बदलना चहता है व चाहे किसी भी मकसद से आए, उसका जहन ही नही बल्कि दिल बदल जाता है।