पेट्रोल-डीज़ल को GST दायरे में लाने से फिर इंकार
महंगी लाइफ सेविंग दवाएं हुईं जीएसटी से मुक्त, कोरोना दवाओं पर मिलती रहेगी छूट
बिजनेस ब्यूरो
लखनऊ में पहली बार हुई GST कौंसिल की मीटिंग में एक बार फिर पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से इंकार कर दिया। इसके अलावा कई महंगी लाइफ सेविंग दवाओं को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है.
कैंसर संबंधी कई दवाओं पर जीएसटी 12 से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है. Remdesivir पर सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी लगेगा. कोरोना की दवा को 31 दिसंबर 2021 तक जीएसटी से छूट मिलती रहेगी. माल वाहनों के नेशनल परमिट फीस को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आज जीएसटी काउंसिल की बैठक में हुए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि बैठक में यह तय हुआ कि बायोडीजल पर जीएसटी घटाकर 12 से 5 फीसदी किया जाए.
वित्त मंत्री ने कहा कि केरल हाईकोर्ट के आदेश की वजह से ही पेट्रोल-डीजल पर विचार हुआ, लेकिन इस पर आमराय बनी कि अभी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल नहीं किया जा सकता.
गौरतलब है कि इस साल जून में केरल हाईकोर्ट ने जीएसटी काउंसिल को यह आदेश दिया था कि वह पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करे. काउंसिल को इसके लिए 6 माह का समय दिया गया. लेकिन इस प्रस्ताव का राज्य ही विरोध कर रहे हैं क्योंकि उनके राजस्व को भी इससे भारी नुकसान पहुंचने वाला है. कोरोना संकट में राजस्व को पहले ही चोट है, इसी वजह से कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही इस प्रस्ताव का विरोध किया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में सुबह 11 बजे शुरू होने वाली इस बैठक में 28 राज्यों और 3 केंद्र शासित राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए. आज की बैठक में असल में 50 से ज्यादा वस्तुओं एवं सेवाओं पर दरों में बदलाव पर विचार हुआ.
बैठक में विचार के लिए एक प्रमुख मसला यह भी था कि जीएसटी लागू होने से राज्यों को हो रहे नुकसान की पूरी तरह से भरपाई कैसे हो. असल में 1 जुलाई 2017 को लागू जीएसटी एक्ट में कहा गया था कि जीएसटी लागू होने के बाद यदि राज्यों के जीएसटी में 14 फीसदी से कम ग्रोथ होती है तो उन्हें अगले पांच साल तक इस नुकसान की भरपाई ऑटोमोबिल और टोबैको जैसे कई उत्पादों पर विशेष सेस लगाकर करने की इजाजत होगी.
यह पांच साल की अवधि 2022 में पूरी हो रही है, लेकिन राज्य चाहते थे कि इसे इसके आगे भी हर्जाना दिया जाए. इस पर आज फैसला नहीं हो पाया, लेकिन इसके लिए एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स द्वारा विचार किया जाएगा. यह समिति दो महीने के भीतर अपनी सिफारिश देगी.