कथक केन्द्र की प्रस्तुतियों में उभरे आजादी के उत्साह और कृष्णभक्ति के रंग
- उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी में दो दिवसीय कथक कार्यक्रम ‘नमन’ प्रारम्भ
- लास्य सम्राट पं. लच्छू महाराज को अर्पित की गयी कथकांजलि
लखनऊ ब्यूरो
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी कथक केंद्र लखनऊ द्वारा संस्थापक निदेशक पं.लच्छू महाराज की जयंती की पूर्वसंध्या पर उन्हें आजादी के जश्न के उत्साह भरी प्रस्तुतियों के संग कृष्ण भक्ति के रंग में रंगी प्रस्तुतियों की कथकांजलि अर्पित की गयी। आजादी के अमृत महोत्सव और चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव आयोजन शृंखला के अंतर्गत कथकाचार्य की जयंती की पूर्वसंध्या पर क्रान्तिकारियों के बलिदान को याद करते हुए नमन कार्यक्रम की प्रस्तुतियों ने उत्साह का संचार किया। दूसरी शाम कल भी ऐसी ही देश भक्ति व ईशभक्ति में भीगी प्रस्तुतियां संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह गोमतीनगर के मंच से आनलाइन प्रदर्षित होंगी।
कथक प्रेमियों के लिए प्रेक्षागृह से आनलाइन प्रस्तुत कार्यक्रम का प्रारम्भ लास्यसम्राट की आवक्ष प्रतिमा पर माल्यापर्ण से हुआ। इस अवसर पर अकादमी के उपाध्यक्ष डा.धन्नूलाल गौतम ने माल्यार्पण करते हुए कथक के क्षेत्र में लच्छू महाराज के योगदान की चर्चा की। अतिथि के तौर पर उपस्थित पं.लच्छू महाराज की शिष्या कुमकुम आदर्श ने गुरु के साथ के चंद संस्मरणों को आनलाइन साझा किया। अकादमी सचिव तरुणराज ने बताया कि मुम्बई में रहकर कई फिल्मों के लिए यादगार नृत्य निर्देशन देने वाले पं.लच्छू महाराज ने लखनऊ लौटे और 1972 में अकादमी के अंतर्गत स्थापित कथक केन्द्र के निदेशक रहे। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष नमन समारोह कथक के बैठकी भाव पर केन्द्रित रहा था।
संध्या की शुरुआत करते हुए कथक केंद्र की छात्राओं ने गुरु अभिवन्दन के भावों मे पगी रचना- जो गुरु कृपा करे… प्रस्तुत की। कमलाकांत के संगीत व गायन में माखनलाल चतुर्वेदी जी द्वारा रचित- पुष्प की अभिलाषा गीत चाह नहीं है को भी छात्राओं प्रतिभावान युवा नृत्यांगना नीता जोशी के निर्देशन में प्रिया बिष्ट, ओस निहारिका, सपना, केसर सिंह, वागीशा नेगी, नव्या, ओमिशा, राशी, शिवांगी, अनन्या, मौसम, आर्या पांडे, प्रियांशी इत्यादि छात्राओं ने बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया। इसके संग ही इन छात्राओं ने नृत्त पक्ष में तीन ताल में टुकड़े, बंदिश तिहाई, नटवरी, परमेलू, परन जुगलबंदी इत्यादि की प्रस्तुति दी। तबले पर हाल ही में विदेश में प्रशिक्षण देकर लौटे पार्थप्रतिम मुखर्जी के साथ कुशल तबला वादक राजीव शुक्ल थे तो सितार पर डा.नवीन मिश्र और बांसुरी पर दीपेंद्र कुंवर ने सुरों से सजाया।
पं.अर्जुन मिश्र की शिष्या सुरभि सिंह ने तीन ताल में परम्परागत नृत्य से करने के साथ लखनऊ घराने की कुछ खास बंदिशो को प्रस्तुत किया। कृष्ण जन्माष्टमी के रंग में शुद्ध पक्ष की प्रस्तुतियों के संग माखनचोरी की लीला सूरदास के पद- मैया मोरी मैं नर्हि माखन खायो….दर्शनीय रही। वहीं आजादी के 75वें वर्ष में दाखिल होने के उपलक्ष्य में जोशीली प्रस्तुति- दिन दूर नहीं खण्डित भारत को पुनः अखण्ड बनाएंगे, गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएंगे जैसी रचना प्रस्तुत कर उत्साह भर दिया। ओज और मधुरता से परिपूर्ण गायन पं.घर्मनाथ मिश्र ने किया, जबकि तबले पर कुशल संगत पं.विकास मिश्र ने और सितार पर नीरज मिश्र ने की।