अब छिड़ी साइकिल पर सवारी की जंग
लखनऊ: समाजवादी पार्टी में अब साइकिल को लेकर लड़ाई छिड़ी हुई है. लड़ाई इस बात को लेकर है कि साइकिल चुनाव चिह्न का हकदार कौन है. मुलायम और अखिलेश दोनों ही इस पर अपना दावा जता रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, दोनों ने ही आज साइकिल पर अपनी दावेदारी को लेकर चुनाव आयोग से समय मांगा है. इसके साथ ही वे चुनाव आयोग से राष्ट्रीय अधिवेशन के फैसलों को रद्द करने की मांग भी करेंगे. मुलायम के साथ अमर सिंह और शिवपाल यादव भी होंगे. इसके लिए अमर सिंह लंदन से लौट आए हैं.
शिवपाल यादव ने कहा कि मैं मरते दम तक नेताजी के साथ रहूंगा. नेताजी ही पार्टी के अध्यक्ष हैं. वहीं अमर सिंह ने कहा कि मुलायम के लिए खलनायक भी बनना पड़ा तो मंजूर है.
इससे पहले दोनों खेमे एक-दूसरे को चित करने के दावपेंच आज़माते नज़र आए. अखिलेश के गुट ने उन्हें पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया तो जवाबी वार करते हुए मुलायम सिहं यादव ने अधिवेशन बुलाने वाले पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव, पार्टी उपाध्यक्ष किरणमय नंदा और सांसद नरेश अग्रवाल को भी पार्टी से निकाल दिया. रामगोपाल को शनिवार को ही पार्टी में दोबारा वापस लिया गया था. अग्रवाल ने कहा कि अब अखिलेश उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लिहाजा मुलायम को उन्हें दल से निकालने का कोई हक नहीं है.
उधर, मुलायम सिंह यादव द्वारा 5 जनवरी को बुलाया गया राष्ट्रीय अधिवेशन रद्द हो गया है. शिवपाल यादव ने ट्वीट करके इस संबंध में जानकारी दी है. पार्टी मुख्यालय पर अखिलेश समर्थकों ने कब्जा कर लिया और शिवपाल यादव की नेम प्लेट तोड़ दी है. रविवार के अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर मुलायम की जगह अखिलेश को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया गया और अमर सिंह को सपा से निकाल दिया गया. बाद में अखिलेश ने अपने करीबी एमएलसी नरेश उत्तम को सपा का प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर दिया.
हालांकि अधिवेशन शुरू होने से कुछ ही देर पहले मुलायम ने एक चिट्ठी जारी कर इसे 'असंवैधानिक' बताते हुए इसमें शामिल होने वाले नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी.
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि वह हमेशा मुलायम सिंह का सम्मान करते थे और अब पहले से ज्यादा सम्मान करते हैं. जब समाज का हर वर्ग सपा की दोबारा सरकार बनाने का मन बना चुका था, तभी कुछ ताकतें साजिशों में जुट गईं. अब प्रदेश में जब दोबारा सपा की सरकार बनेगी तो सबसे ज्यादा खुशी नेताजी को होगी. भावुक हुए अखिलेश ने कहा कि नेताजी का स्थान सबसे ऊपर है. उन्हें डर था कि चुनाव से ऐन पहले 'ना जाने कौन मिलकर उनसे (मुलायम) क्या करा देता. मुझे पार्टी के लिए कोई भी त्याग करना होगा, तो मैं करूंगा'. उन्होंने कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए आहवान किया कि आने वाले दो-ढाई महीने बहुत महत्वपूर्ण हैं. प्रदेश में एक ऐसी धर्मनिरपेक्ष सरकार बनानी है, जो उसे खुशहाली की राह पर ले जा सके.