हमीरपुर: एसएनसीयू टीम ने एक मां को बेऔलाद होने से बचाया
- महिला अस्पताल में दिया था 20 जून को जुड़वां बच्चों को जन्म
- एक बच्चे की जन्म के तुरंत बाद हो गई थी मौत, दूसरे की हालत ती नाजुक
- एसएनसीयू वार्ड की टीम ने पचास दिनों तक इलाज और निगरानी के बाद बच्ची को बचाया
हमीरपुर: जिला महिला अस्पताल के सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) की टीम ने पचास दिनों की मेहनत के बाद एक मां को बेऔलाद होने से बचा लिया। महिला ने पचास दिन पूर्व अस्पताल में जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था, जिसमें एक बच्चे की जन्म के तुरंत बाद ही मौत हो गई थी, जबकि दूसरे को गंभीर हालत में एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था।
शहर के रमेड़ी मोहल्ला निवासी अमित की पत्नी कुंती ने20 जून को जिला महिला अस्पताल में जुड़वां बच्चों (लड़का-लड़की) को जन्म दिया। समय से पहले इन बच्चों का जन्म हुआ था। लिहाजा डॉक्टरों के सामने इन्हें बचाने की भी चुनौती थी। लेकिन जन्म के तुरंत बाद एक बच्चे की जान चली गई। दूसरे की हालत नाजुक हो गई। दोनों ही बच्चों को मौत के मुंह में जाता देख मां-बाप का बुरा हाल हो गया। बच्ची को बचाने की जिम्मेदारी अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड की टीम के हवाले कर दी गई।
एसएनसीयू टीम के डॉ.सुमित सचान, डॉ.केशव और डॉ.दीपक ने अपनी टीम के साथ मिलकर इस बच्ची का उपचार शुरू किया। इन तीनों डॉक्टरों की शिफ्टवार ड्यूटी लगती है लिहाजा तीनों की बच्ची की स्थिति पर पैनी नजर रही। 20 जून को भर्ती कराई गई बच्ची को वार्ड में लगातार पचास दिनों तक रखा गया। डॉ.सुमित ने बताया कि बच्ची का जन्म के समय वजन महज 850 ग्राम था। स्थिति ऐसी थी कि कुछ भी हो सकता था, लेकिन टीम ने बच्ची के उपचार और देखभाल में बहुत मेहनत की, जिसकी वजह से बच्ची को नया जीवन मिला। गत गुरुवार को बच्ची को पूरी तरह से ठीक होने केबाद डिस्चार्ज कर दिया गया।
एक साल में 649 नवजातों की बचाई गई जान
जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ.फौजिया अंजुम नोमानी ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड में अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक 878 नवजात शिशुओं को भर्ती करके उपचार किया गया। जिसमें 123 बच्चों का वजन डेढ़ किग्रा और 348 बच्चों का वजन ढाई किग्रा के अंदर था। इनमें 649 बच्चे पूरी तरह से ठीक हो गए। 160 को उच्च चिकित्सा के लिए रेफर किया गया। उन्होंने वार्ड की टीम की प्रशंसा करते हुए कहा कि टीम बहुत मेहनती है और अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही है। उन्होंने बताया कि वार्ड में बेडो की संख्या बढ़ाकर पंद्रह किए जाने को उन्होंने स्वास्थ्य निदेशक को पत्र लिखा है। अभी भी बेड से ज्यादा संख्या में नवजात बच्चे इस वार्ड में भर्ती हैं।