योगी राज में दलित हत्या की दबंगों को छूट : माले
- पार्टी बस्ती जिले में पीड़ित परिवार से मिली, जनदबाव पर दो हमलावर गिरफ्तार हुए, बाकी को ‘ढूंढ़’ रही पुलिस
लखनऊ: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने कहा है कि योगी राज में दलित हत्या की दबंगों को छूट है। बस्ती जिले के पैकोलिया थानांतर्गत गांव रेवटा हरशरण शुक्ल की घटना ज्वलंत उदाहरण है।
भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने गुरुवार को उक्त घटना की जानकारी देते हुए कहा कि पुलिस की भूमिका दबंग हमलावरों को संरक्षण देने की थी। गत 23 जुलाई को दबंग सवर्णों की पिटाई से दलित नौजवान पवन कुमार की 12 दिन बाद चार अगस्त को मौत हो गई। पुलिस हमले की घटना को तीन दिन तक दबाये रही और एफआईआर 26 जुलाई को तभी दर्ज हुई, जब माले और नौजवान संगठन आरवाईए ने डीएम कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया। एफआईआर में पांच नामजद समेत चार अज्ञात आरोपी हैं। अभी तक दो हमलावरों की गिरफ्तारी हुई है, जबकि बाकी आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं, मगर पुलिस उन तक नहीं पहुंच रही है।
राज्य सचिव ने बताया कि इसके पूर्व माले और युवा नेताओं की टीम ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने का भरोसा दिलाया। बीते आठ अगस्त को पार्टी की पहल पर मृतक पवन कुमार के गांव में हत्याकांड के प्रतिवादस्वरूप मशाल जुलूस निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में दलितों-गरीबों व युवाओं की भागीदारी हुई और हत्यारों को कड़ी सजा की मांग की गई।
माले के जिला प्रभारी कामरेड रामलौट के नेतृत्व में गई टीम की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सचिव ने बताया कि दलित कोटेदार
रामलगन के घर जाकर गांव रेवटा बहादुर शाही निवासी अनिल कुमार शुक्ला मुफ्त में दो कुंतल गेंहू की मांग करने लगे। जब कोटेदार ने कहा कि आपका राशनकार्ड भी नहीं है और इतना राशन देना संभव नही है, तो अनिल शुक्ला ने जातिसूचक गाली देते हुए कहा कि अभी मैं निहत्था हूं कुछ देर में तुम्हें ठीक करता हूं। यह कहकर चले गए।
अनिल शुक्ला गांव के मौजूदा प्रधान के घर से हाकी, लाठी, डंडा लेकर दस -बारह लोगों के साथ पुनः आ गये और कोटेदार की दुकान पर हमला कर दिया। दुकान के दो हजार रुपए लूट लिये। अंगूठा रिकॉर्ड करने वाली मशीन को जमीन पर पटक कर तोड़ दी। राशन वितरण का रजिस्टर व सारा रिकॉर्ड फाड़कर नष्ट कर दिया।कोटेदार ने अपनी जान बचाने के लिए खुद को दुकान के कमरे में शटर गिराकर बंद कर लिया, तो उन लोगों ने कोटेदार के भाई बहरैची को बुरी तरह मारकर लहू -लुहान कर दिया।
कोटे की दुकान पर गांव का एक अन्य दलित नौजवान पवन कुमार (पुत्र रामसंवारे) राशन लेने आया था। जब कोटेदार ने शटर गिराकर खुद को बंद कर लिया, तो राशन लेने आये दलित पवन को हमलावरों ने पकड़ लिया और जातिसूचक गली देते हुए कहा कि इसकी भी पिटाई करो तभी चमारों का दिमाग सही होगा। हमलावरों ने पवन को भी बुरी तरह मारते हुए उसका हाथ-पैर तोड़ दिया। यही नहीं, उसे मरा हुआ समझ कर घसीटते हुए कुछ दूर ले जाकर नहर के समीप एक झाड़ी में फेंक दिया।
इसके बाद कोटेदार ने 112 नंबर पर फोन कर पुलिस को सूचना दी। कुछ देर बाद थाने से दो गाड़ियों में पुलिस आई। एफआईआर दर्ज करने की बात पर पुलिस ने कहा कि पहले जान बचाओ फिर रिपोर्ट दर्ज कर ली जाएगी।
घायल पवन कुमार को निजी साधन से जिला अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टरों ने हालत गंभीर होने पर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज ले जाने को कहा। गोरखपुर में इलाज शुरू कर के पवन की सीटी स्कैन कराई फिर लखनऊ मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। 24 जुलाई की सुबह केजीएमयू में भर्ती करके इलाज शुरू किया गया, जहां 31 जुलाई तक इलाज के बाद उन्हें डिस्चार्ज करके घर भेज दिया गया। घर आने के बाद एक अगस्त की सुबह पवन की हालत पुनः गंभीर हो गई और उन्हें जिला अस्पताल बस्ती में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने उन्हें पुनः लखनऊ मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया, जहां 2 अगस्त को 5 बजे सुबह पुनः भर्ती किया गया। चार अगस्त को इलाज के दौरान 10 बजे दिन में पवन की मौत हो गई।
लखनऊ में लाश का पोस्टमार्टम होने के बाद पुलिस लखनऊ में ही लाश जलाने का दबाव बनाने लगी। परिजनों के नहीं मानने पर अयोध्या में जलाने को कहा। किसी तरह से लाश को गांव ले जाया गया। लाश पंहुचने के पहले ही पूरे गांव में पुलिस- पीएसी की छावनी बनाकर गांव को सील कर दिया गया था। मौके पर माले जिला प्रभारी कामरेड रामलौट के नेतृत्व में अपराधियों की गिरफ्तारी व मुआवजे की मांग की गई। प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारियों द्वारा चार दिनों के भीतर सभी आरोपियों की गिरफ्तारी, पीड़ित परिवार को आवास व पट्टे की जमीन सहित मुआवजा देने के आश्वासन के बाद ही लाश का अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन घटना के बीस दिन बाद दो की गिरफ्तारी के अलावा सारे आश्वासन धरे पड़े हैं।