कास्य पदक के मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराया

अदनान
1980 में मास्को ओलम्पिक में भारत ने पुरुष हॉकी में स्वर्ण पदक जीता था, उसके ऐसी नज़र लगी कि पूरे 40 साल भारत मैडल के लिए तरसता रहा लेकिन टोक्यो ओलम्पिक में समय का पहिया घूमा और 40 साल का सूखा ख़त्म हुआ. कास्य पदक के लिए हुए मुकाबले में भारत ने जर्मनी को 5-4 से मात देकर यह कामयाबी हासिल की.

टीम के लिए सिमरनजीत सिंह ने 2 गोल दागे. मुकाबले में भारत की खराब शुरुआत हुई लेकिन फिर उसने लगातार गोल दागकर वापसी की. लेकिन इसके बाद जर्मनी ने दो और गोल कर भारत पर दबाव बना दिया. लेकिन टीम इंडिया ने जबरदस्त वापसी करते हुए महज 2 मिनट में मैच को 5-4 की बढ़त पर ला दिया.

जर्मनी ने मैच के पहले मिनट में ही गोल किया था. जर्मनी की ओर से Timur Oruz ने ये फील्ड गोल किया, भारत को 5वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला था. लेकिन रुपिंदर पाल सिंह गोल करने में नाकाम रहे.

पहला क्वार्टर में जर्मनी भारत पर हावी रहा. इस क्वॉर्टर में जर्मनी काफी आक्रामक नजर आया. जर्मनी की टीम ने पहले मिनट में ही गोल दागकर अपने इरादे साफ कर दिए और शुरुआती बढ़त बना ली. पहले क्वार्टर के खत्म होने के ठीक पहले उसे पेनल्टी कॉर्नर मिले. भारत ने इसपर शानदार बचाव किया और जर्मनी की बढ़त को 1-0 तक ही रखा. श्रीजेश की यहां पर खासतौर से तारीफ करनी होगी. उन्होंने लगातार दो अच्छे सेव किए.

दूसरे हाफ में भारत ने गजब खेल दिखाया है. भारत ने न सिर्फ लगातार गोल किए बल्कि जर्मनी के खिलाड़ियों को खासा छकाया. जर्मनी की टीम दूसरे हाफ में दबाव में नजर आई. वहीं भारत के खिलाड़ी लगातार गोल की तलाश में दिखे, जिसका उन्हें फायदा मिला. सिमरनजीत सिंह ने हॉकी प्रेमियों को निराश नहीं किया और गोल किए.

एक समय जर्मनी 3-1 से आगे था. लेकिन फिर भारत ने जबरदस्त खेल दिखाते हुए जर्मनी को चारों खाने चित कर दिया. गोलकीपर श्रीजेश ने भी गोल पर खड़े होकर जर्मनी को कोई बढ़त लेने का मौका अंतिम क्षणों में नहीं दिया. सिमरनजीत सिंह ने 2 गोल करते हुए भारत की मैच में वापसी कराई. जर्मनी की टीम दूसरे हाफ में वो कमाल नहीं दिखा पाई जो उसने पहले हाफ में दिखाया था.

भारत की तरफ से पहला गोल सिमरनजीत सिंह ने किया. यह टोक्यो ओलंपिक में उनका दूसरा गोल था. दूसरा गोल करने का मौका हार्दिक सिंह को मिला. तीसरा गोल करने का मौका हरमनप्रीत के हिस्से आया. चौथा गोल रुपिंदर पाल सिंह ने किया, जिन्होंने पेनाल्टी स्ट्रोक को गोल में तब्दील कर दिया. यही वो लम्हा था, जब भारत मैच में 4-3 से आगे हो गया था और फिर पांचवां गोल सिमरनजीत सिंह ने किया, जिसके बाद भारत ने 5-4 की बढ़त जर्मनी पर ले ली, जो मैच के अंत तक बनी रही.