विश्वगुरु महाराज रोंदू का देश भ्रमण
ज़ीनत शम्स
महाराजा रोंदू को राज सिंघासन पर आसीन होने के सात वर्ष हो चुके थे, इस अवसर पर महाराज ने सोचा चलो देश भ्रमण पर निकला जाय और जनता जनार्दन का हालचाल जाना जाय. महाराज का क़ाफ़िला बुलेट ट्रेन पर सवार होकर स्मार्ट सिटी के दौरे के लिए निकल पड़ता है. शहर बहुत सुंदर दिख रहे थे, हर ओर हरियाली थी, सड़कें चमक रही थीं, सौर ऊर्जा से स्ट्रीट लाइटें जगमगा रही थीं. स्मार्ट सिटी के दर्शन के बाद काफिला गंगा किनारे बसे क्योटो शहर की यात्रा पर निकल पड़ता है. गंगा नदी में स्वच्छ और निर्मल जल बह रहा था और उसमें नमामि गंगे की परछाई दिखाई दे रही थी. विश्वगुरु महाराज रोंदू का काफिला शहर की ओर चल पड़ता है, रास्ते में एक पेट्रोल पंप पर महाराज हालचाल लेते हैं तो पता चलता है कि पेट्रोल और डीजल विकास के मार्ग पर सरपट दौड़ लगा रहे हैं.महाराज एक किराने की दुकान पर पहुँचते हैं, वहां पहुंच कर जानकारी मिलती है कि सरसों का तेल उसैन बोल्ट की रफ़्तार से दौड़ रहा है और दो सौ मीटर का विश्व कीर्तिमान बना चूका है.
आगे बढ़ने पर महाराज को एक भक्त टाइप युवा चिलम से धुंआ फेंकता हुआ मस्ती में जाता हुआ दिखाई दिया, महाराज को देखते ही युवक ख़ुशी से उछल पड़ा. बोला- विश्वगुरु महाराज रोंदू की जय हो, हर हर रोंदू-घर घर रोंदू। हमको 15 लाख मिल गए, अब हम ऐश कर रहे हैं और धुंआ उड़ाता आगे बढ़ गया. विश्व गुरु रोंदू महाराज का कारवां और आगे बढ़ा तो देखा कि युवाओं की भीड़ हाथ में फूल मालाएं, गुलदस्ते लिए स्वागत के लिए खड़ी थी. खड़ी भी क्यों न होती हर वर्ष दो करोड़ नौकरियां जो मिल रही थीं, युवाओं के सपने जो पूरे हो रहे थे. इतना प्रेम देखकर रोंदू महाराज की आंखों से आंसू बहने लगते हैं. विश्व गुरु रोंदू महाराज अपने सेनापतियों और मंत्रियों से आगे चलने को कहते हैं. आगे उन्हें किसान स्वागत के लिए खड़े हुए नज़र आते हैं, महाराज ने उनकी भलाई के तीन विशेष कानून जो बनाये उसी का आभार प्रकट करने के लिए किसानों की यह भीड़ मौजूद थी. कुछ और आगे बढ़ने पर देखते हैं कि गोल टोपी लगाए हुए अल्पसंख्यक समुदाय के लोग खड़े हैं. वह अपने प्रधानसेनापति दावेश्वर से पूछते हैं कि क्या हुआ? प्रधानसेनापति दावेश्वर बताते हैं कि आपकी आज्ञानुसार हमने इन लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कागज़ दिखाने को कहा है, यह सब वही लोग हैं.
काफिला और आगे बढ़ता है तो देखते हैं बैंकों के बाहर भीड़ जमा है, लोग पुराने नोट बदलकर गुलाबी हरे पीले नए नोट से ले रहे हैं, और आगे चले तो रोंदू महाराज को एक अस्पताल के सामने काफी भीड़ दिखाई दी , लोग परेशानहाल अपनी पीठ पर लादकर ऑक्सीजन सिलेंडर ला रहे हैं, मरने वालों की लाशें अपने कंधों पर, साइकिल पर, ठेलों पर ढो रहे हैं और दाह संस्कार न कर पाने पर नदियों में बहा रहे हैं, यह दृश्य देखकर रोंदू महाराज मंत्रियों से कारण पूछते हैं तो पता चलता है कि कोरोनावायरस नामक महामारी ने इन सारे नागरिकों को परेशान कर रखा है. महाराज खुश होते हैं कि देश के नागरिक आत्मनिर्भर हो चुके हैं क्योंकि अब वह अपने सारे काम स्वयं ही करने लगे हैं, विश्व गुरुरोंदू महाराज का सीना गर्व से अब 65 इंची हो जाता है. इसी बीच उनकी नज़र आकाश की ओर पड़ती है तो देखते हैं कि कोई चीज बहुत तेजी से धरातल पर आ रही है, वह चौंक कर अपने मंत्रियों से पूछते हैं यह क्या है? मंत्री गण बताते हैं कि यह तो देश की जीडीपी है जो बड़ी तेज़ गति से नीचे आ रही है तभी काफिले की गाड़ी झटके खाकर रूकती है और इन झटकों से मेरी नींद भी खुल जाती है. पता चला सपना था, फिर मैं चाय बनाने चल पड़ती हूँ.