उन्नाव के सब्जी विक्रेता मामले में एसओ सहित पूरे थाने के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो : माले
लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने उन्नाव के सब्जी विक्रेता फैजल हुसैन प्रकरण में पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद कहा है कि अब यह सीधे तौर पर पुलिस द्वारा की गई हत्या का मामला है, लिहाजा मृतक व पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए बांगरमऊ एसओ सहित पूरे थाने के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
रविवार को जारी बयान में राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि कोरोना कर्फ्यू की आड़ में 18 वर्षीय फैजल को पुलिस द्वारा सड़क से लेकर थाने तक जिस संवेदनहीन व बर्बर तरीके से पीट-पीट कर मार डाला गया, वह योगी सरकार के शासन व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाता है। उन्होंने कहा कि आखिर फैजल हुसैन को ही कोरोना नियमों के उल्लंघन में क्यों पकड़ा गया, जबकि अन्य सारे लोग भी सब्जी बाजार में मौजूद थे।
राज्य सचिव ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोग मोदी और योगी की सरकार द्वारा संरक्षित भीड़ हत्या (मॉब लिंचिंग) में मारे गए थे। अब मुख्यमंत्री योगी की पुलिस दिनदहाड़े, सड़क और थाने में पीट-पीट कर जान ले रही है।
कामरेड सुधाकर ने कहा कि हत्यारे पुलिसकर्मियों की शुक्रवार की हुई घटना के दो दिन बीतने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन द्वारा इस हत्याकांड पर शुरू से ही लीपापोती की साजिश की जा रही है। पहले ‘हार्ट अटैक’ से मौत कहकर दोषियों को बचाने की कोशिश की गई जबकि फैजल 18 वर्ष की उम्र वाला एक स्वस्थ किशोर था। एफआईआर भी तभी दर्ज हुई, जब पीड़ित परिवार के साथ गांववालों ने आधी रात तक शव के साथ सड़क जाम आंदोलन किया।
यही नहीं, जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सब कुछ साफ हो गया और पिटाई से मौत के प्रमाण मिल गए, तो सीधे कार्रवाई करने के बजाय बहाने तलाशे जा रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि सिर्फ तीन पुलिसकर्मी ही क्यों, एसओ के खिलाफ भी हत्या का मुकदमा क्यों नहीं दर्ज हुआ, जबकि मामले में उनकी भी संलिप्तता है? पुलिस वाले फैजल का शव अस्पताल में छोड़कर भाग क्यों गए थे?
माले नेता ने इस प्रकरण को ‘हिरासत में हत्या’ मानकर मानवाधिकार आयोग और न्यायपालिका से स्वतः संज्ञान लेने व न्याय दिलाने की अपील की।
राज्य सचिव ने कहा कि दो बहनों और बीमार पिता सहित पूरे परिवार का सब्जी बेचकर गुजारा करने वाले एकमात्र सदस्य फैजल की हत्या से पूरे परिवार की आजीविका पर गंभीर संकट उपस्थित हो गया है। ऐसे में मुआवजे के रूप में एक करोड़ रु के साथ परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की परिजनों की मांग सर्वथा उचित है और इसे तत्काल पूरा किया जाना चाहिए।