क्षमता से अधिक भरी जेलें बन सकती हैं सुपर स्प्रेडर
नई दिल्ली: पिछले साल के एक आंकड़े के मुताबिक़, देश भर की जेलों में 18000 से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आये थे। इस साल मार्च 2021 से अप्रैल 2021 तक देश की जेलों में 938 कोरोना के मामले आ चुके हैं। भारत दुनिया भर की जेलों में बंद क़ैदियों की तादाद के लिहाज़ से अमरीका, चीन, ब्राज़ील और रूस के बाद पाँचवें नंबर पर है। कोरोना पैन्डेमिक की दूसरी लहर में जहाँ देश में अफ़रातफ़री मची हुयी है, वहीं इस दौरान देश की जेलों में बंद क़ैदियों की सेहत चिंता का सबब बनी हुयी है। कई जेलों में इन्फ़ेक्शन फैलने की ख़बरें आ रही हैं।
क्षमता से अधिक क़ैदी
भारत में जेलों में क्षमता से ज़्य़ादा क़ैदी भरे हुए हैं। देश के 15 राज्यों की जेल अपनी क्षमता से ज़्यादा भरी हुई हैं। सबसे भीड़ भाड़ वाली जेलों में दिल्ली और उत्तर प्रदेश क्रमशः 175 फ़ीसदी और 168 फ़ीसदी ऑक्यूपेन्सी दर के साथ पहले और दूसरे नंबर पर हैं।
30 फ़ीसदी से ज़्यादा जेल कर्मियों की कमी
राष्ट्रीय स्तर पर तीन साल से ख़ाली पदों के आंकड़ों के हिसाब से देश भर की जेलों में 30 फ़ीसदी से ज़्यादा जेल कर्मियों की कमी है। मानव संसाधन में इतनी कमी की वजह से जेल कर्मी जेल में निगरानी और व्यवस्था बनाए रखने के लिए क़ैदियों को कम जगह में एक साथ रखने पर मजबूर होते हैं। क्षमता से अधिक भरी जेलें, कोरोना को फैलने के लिए अनुकूल माहौल मुहैया कर रही हैं।
और चरमरा सकती है व्यवस्था
अगर सरकार जेलों में कोरोना संक्रमण फ़ैलने से न रोक पायी तो इस पैन्डेमिक को रोकने के प्रयास असफल हो सकते हैं। अगर भीड़ भाड़ वाली जेलों में संक्रमण फैल गया तो पहले चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था पर और ज़्यादा बोझ बढ़ सकता हैं।