विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बहुत कुछ खोया, असम में भी नहीं चला प्रियंका का जादू
नई दिल्ली: बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में वोटों की गिनती जा रही है। दोपहर 12 बजे तक के रूझानों से अब साफ होने लगा है कि किस राज्य में किस पार्टी या गठबंधन की सरकार बनने वाली है। इन रूझानों में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस कहीं नहीं दिखाई दे रही है।
बंगाल में पूरी तरह सफाया
सबसे पहले बंगाल की बात करते हैं, 12 बजे तक के रूझानों से साफ है कि करीब 30 साल राज्य की सत्ता में काबिज रहने वाली कांग्रेस एक भी सीट जीतती हुई नहीं दिख रही है। जबकि वह यह चुनाव वामदलों के साथ मिलकर लड़ रही थी।
असम में भी सरकार बनाने से दूर
इसी तरह असम में पार्टी को उम्मीद थी कि एनआरसी जैसे मुद्दों के बल पर वह भाजपा को पटखनी दे देगी। लेकिन वहां भी वह रेस से बाहर हो गई है। रूझानों में उसके नेतृत्व वाले गठबंधन को केवल 46 सीटें मिलती हुई दिख रही है। जबकि भाजपा गठबंधन 79 सीटों पर आगे है।
केरल ने उम्मीदों को तोड़ा
पार्टी को सबसे ज्यादा उम्मीदें केरल से थी। क्योंकि वहां पर इतिहास रहा है कि सत्ताधारी दल अमूमन हार जाता है। लेकिन यहां भी उसे झटका लगा है और एलडीएफ दोबारा जीत रहा है। अहम बात यह है कि चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने सबसे ज्यादा जोर केरल में ही लगाया था। वह यहां वायनाड से सांसद भी है। लेकिन फिर भी पार्टी 49 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है। जबकि एलडीएफ 87 सीटें जीतते दिख रहा है।
पुडुचेरी में भी पीछे
कुछ इसी तरह पुडुचेरी में भी पार्टी अपने को नहीं संभाल पाई है। उसके नेतृत्व पिछली सरकार गिर गई और अब भाजपा नेतृत्व वाला गठबंधन एनआरसी बहुमत पाता दिख रहा है। 17 में से एनआरसी 12 जबकि कांग्रेस 4 पर आगे हैं। जबकि 13 सीटों के रूझान अभी नहीं आए हैं।
पार्टी नेतृत्व पर यह बोले राहुल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि वह पार्टी के भीतर आंतरिक चुनावों के पक्षधर हैं और कार्यकर्ता ही यह तय करेंगे कि पार्टी का नेतृत्व किसे करना चाहिए। गांधी ने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि पार्टी उनसे जो भी कहेगी, वह करेंगे।