चुनावी राज्यों में भाजपा का सिरदर्द बनेंगे मृतक किसानों के परिवार
नई दिल्ली: कृषि कानून के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में अब नई रणनीति अपने जा रही है. 100 दिन से अधिक हो चुके किसान आंदोलन में अब तक जितने लोगों की मृत्यु हो चुकी है, उनके परिजनों को भी साथ जोड़ा जायेगा।संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार अब तक इस आंदोलन में 270 से अधिक किसानों की मृत्यु हुई है।
चुनावी राज्यों का करेंगे दौरा
गाजीपुर बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों से मिली जानकारी के अनुसार, हाल ही में किसान नेताओं ने इस बात पर विचार किया है कि जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उनमें किसानों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ इन मृतक किसानों के परिजनों को भी शामिल किया जाए।
अभी अंतिम निर्णय नहीं
गाजीपुर बॉर्डर आंदोलन कमिटी के सदस्यों से भी इस पर राय मांगी गई है। हालांकि अभी ये कहना मुश्किल होगा कि किसान नेता इस पर कब तक निर्णय लेंगे। या ऐसा होगा भी या नहीं। लेकिन फिलहाल इस बात पर चर्चा की गई है। गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने इस पर अपनी राय रखते हुए कहा, “फिलहाल मेरे पास इस तरह की कोई जानकारी नहीं है।”
13 मार्च को जा रहा है किसानों का जत्था
हालांकि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी इस जानकारी से वंचित है। उन्होंने इस मसले पर कहा, “संयुक्त किसान मोर्चा जो भी तय करेगा, हम उनके साथ हैं। सबकी सहमति के साथ ही आगे की रणनीति रहेगी। परिवार के लोग जाएंगे तो वह अकेले नहीं जा सकते, उनके साथ कोई न कोई व्यक्ति चाहिए ही। 13 मार्च को हम जा रहे हैं, उसके बाद हम रिपोर्ट देंगे कि किस तरह से व्यवस्था की जाएगी।”
एसकेएम ने किया था फैसला
दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने हाल ही में ये फैसला लिया है कि जिन राज्यों में अभी चुनाव होने वाले हैं, वहां एसकेएम “भाजपा की किसान-विरोधी, गरीब-विरोधी नीतियों” का पुरजोर विरोध करने के लिए जनता से अपील करेगा। साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी इसी उद्देश्य के साथ इन राज्यों का दौरा करेंगे और विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे। इसी के तहत संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता बंगाल पहुंचेंगे और वहां के किसानों को संबोधित भी करेंगे।