भारत है सूफ़ीवाद का घर और हम इसके रक्षक: सैयद मुहम्मद क़ादरी
जयपुर में ईद मीलादुन्नबी हर्षोउल्लास के साथ मनाया
जयपुर। भारत सूफ़ियों का देश है और सूफ़ी इसके रक्षक। जो भारत को आतंकवाद फैलाकर मिटाने के मंसूबे पाले बैठे हैं उन वहाबी आतंकवादियों को देश के सूफ़ी मुँहतोड़ जवाब देंगे क्योंकि वतन से प्रेम का संदेश हमें पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सअव) से मिलता है। यह बात आज जयपुर के ऐतिहासिक जश्ने ईद मीलादुन्नबी के जुलूस के विसर्जन के दौरान आयोजित लाखों लोगों के मजमे के आगे प्रमुख वक्ता सैयद मुहम्मद क़ादरी ने कही।
मीलाद बोर्ड, मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया और सुन्नी दावते इस्लामी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जयपुर मीलाद, जुलूस और सभा में जयपुर शहर मुफ़्ती अब्दुल सत्तार रज़वी, उप मुफ़्ती ख़ालिद अय्यूब मिस्बाही, मीलाद बोर्ड के हाजी रफ़त और सुन्नी दावते इस्लामी के शकील अशरफ़ी के अलावा सैकड़ों उलामा और लाखों की तादाद में जनता ने शिरकत की।
मुख्य वक्ता के रूप में सभा को संबोधित करते हुए सैयद मुहम्मद क़ादरी ने कहाकि भारत सूफ़ीवाद का घर है और आज जबकि पूरी दुनिया आतंकवाद की गिरफ़्त में है और मानती है कि आतंकवाद के पीछे इस्लाम का हाथ है, उन्हें हम बताना चाहेंगे कि इसके पीछे इस्लाम नहीं वहाबिज़्म का हाथ है। सऊदी अरब और क़तर के पैसों पर भारत की सुरक्षा से समझौता करने वाले दलालों ने इस्लाम, भारत और आम मुसलमान को ख़तरे में डालने की कोशिश की है लेकिन इन अपराधियों को समझ लेना चाहिए कि हम सूफ़ी हैं। हम अपना ईमान, देश और समाज के बचाने के लिए अपने प्राणों की आहूति तक दे देते हैं लेकिन हक़ और शांति का मार्ग नहीं छोड़ सकते। क़ादरी ने कहाकि अमेरिका और इज़राइल के घनिष्ठ मित्र अलसऊद परिवार ने जितना नुक़सान मुसमलानों को पहुँचाया है, उतना इस्लामी इतिहास में किसी ने नहीं पहुँचाया। क़ादरी ने कहाकि हमें नाज़ है कि हम भारत में जन्मे और हम पर ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती रह. का साया है लेकिन वहाबी दलालों को ख़्वाजा के आस्ताने पर आने वाले आम हिन्दू और मुसलमानों की श्रद्धा की एकता पसंद नहीं। इनमें कट्टरता घोलने के लिए यह लोग जगह जगह वहाबी मदरसे स्थापित कर देश की सुरक्षा को ख़तरे में डाल रहे हैं। हम सूफ़ी सूफ़ीवाद के घर भारत के रक्षक हैं और हम से बढ़कर कोई दावा नहीं कर सकता कि हमारा देशप्रेम किसी के भी प्रेम से कम है। हम सभी देशप्रेमियों से आग्रह करते हैं कि वह वहाबिज़्म को समझें और इस ख़तरे से आगाह हों ताकि हम देश और समाज की रक्षा कर पाएँ।
मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया यानी एमएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जयपुर शहर के उपमुफ़्ती ख़ालिद अय्यूब मिस्बाही ने कहाकि भारतीय विश्वविद्यालयों में इस्लामी अध्ययन के नाम पर सऊदी अरब से पोषित वहाबी विचारधारा पढ़ाई जा रही है, ऐसी स्थिति में सूफ़ीवाद और उदारता के बजाय सरकार ख़ुद ही कट्टरता और सामाजिक विद्वेष को पनाह दे रही है। मिस्बाही ने कहाकि भारत में सूफ़ीयत इसी राजस्थान की धरती से फैली है क्योंकि हम यहाँ अजमेर वाले ख्वाजा के साये में बैठकर अपनी बात कह रहे हैं लेकिन हमने सूफ़ीवाद की वह क़द्र नहीं की। उन्होंने कहाकि हर भारतीय सूफी को भारत का नागरिक होने का गर्व है लेकिन वह यह भी मलाल रखता है कि सूफ़ीवाद को विश्वविद्यालय शिक्षा में वह स्थान नहीं दिया गया जो मिलना चाहिए था। इसका नतीजा यह हुआ कि सरकार कट्टरता से लड़ने पर कार्य करने पर ज़ोर दे रही है लेकिन वह यह नहीं जानती कि देश भर में सरकारी विश्वविद्यालयों में इस्लामी अध्ययन के नाम पर अधिकांश सऊदी अरब के पेट्रो डॉलर पर पल्लवित वहाबी विचारधारा को पढ़ाया जा रहा है। जयपुर शहर के उपमुफ़्ती ख़ालिद ने कहाकि यह देखना चाहिए कि सिर्फ़ हमारा संगठन ही नहीं बल्कि भारत की हर दरगाह के प्रमुख सूफ़ी और ख़ानक़ाहों के प्रमुख मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को इस बात में मदद कर सकते हैं कि विश्वविद्यालयीन इस्लामी अध्ययन पाठ्यक्रम को सूफ़ीवाद के अनुरूप संरचनात्मक रूप दिया जा सके। भारत के सूफ़ी चाहते हैं कि जो विद्यार्थी इस्लामी अध्ययन के लिए पढ़ने के लिए आए वह सूफ़ीवाद की शिक्षा पाकर अच्छा नागरिक बने। अपना विकास कर सके, समाज और देश का विकास कर सके।
जयपुर शहर मुफ़्ती अब्दुल सत्तार रज़वी ने कहाकि आज जितना बड़ा कार्यक्रम ईद मीलादुन्नबी का मनाया जा रहा है और हर वर्ष यह जितना बड़ा हो रहा है, वह इस बात की दलील है कि लोग अब सूफ़ीवाद की तरफ़ बढ़ रहे हैं। हमें लगता है कि पूर्व में कट्टरवादी तत्वों ने बहुत कोशिश की कि वह जयपुर शहर में जश्ने ईद मीलादुन्नबी में लोगों को शामिल होने से रोकें लेकिन इसका उतना ही विस्तार हो रहा है। शहर मुफ़्ती ने कहाकि यह विचित्र संयोग है कि कट्टरवादी तत्व इस जुलूस के ख़िलाफ़ हैं क्योंकि उन्हें लगता है यह इस्लाम में विस्तार है जबकि उनका असली मक़सद लोगों को पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद के प्रति लगाव से विमुख करना है। परंतु यह संभव नहीं होगा। भारत में विशेषकर उनके मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे क्योंकि यह सूफ़ियों का देश है।
मीलाद बोर्ड के प्रमुख हाजी रफ़त ने कहाकि हम लोग हर साल जश्ने ईद मीलादुन्नबी का इंतज़ार करते हैं और कई महीनों पहले ही इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं। हमारा मानना है कि हमारी जि़न्दगियाँ नबी हज़रत मुहम्मद (सअव) का सदक़ा हैं और हम उनकी जयंती को कितनी ख़ुशी और उल्लास से मना सकते हैं, उतनी ख़ुशी से मनाना चाहिए। जयपुर के हज़ारों लोग मीलादुन्नबी से बहुत पहले ही मीलाद बोर्ड से सम्पर्क कर अपने अपने क्षेत्र को सजाने और जूलूस के इंतज़ाम में लग जाते हैं।
शहर में हर साल जश्ने ईद मीलादुन्नबी की तैयारियों में व्यस्त रहने वाले मशहूर सूफ़ी कार्यकर्ता वाहिद यज़दानी ने हमें बताया कि आप जुलूस में देखिए हर रंग और हरी, नीली, पीली, लाल टोपियों और झंडों के साथ चलने वाले लोग दरअसल पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सअव) के प्रति अपने अगाध प्रेम और अपनी ख़ानक़ाह की नुमाइंदगी को दर्शाते हैं। यज़दानी हर रंग को भारत की बहुविध संस्कृति का प्रतीक मानते हैं और देशप्रेम को सूफ़ीवाद का अभिन्न अंग।
दोपहर को ज़ुहर की नमाज़ के बाद लाखों लोगों के साथ जयपुर शहर के दरगाह ज़ियाउद्दीन रह. से शुरू हुआ जुलूस जैसे जैसे आगे बढ़ा लोग उसमें शरीक़ होते गए। चार दरवाज़े और सुभाष चौक पर लाखों लोग दरगाह से शुरू जुलूस का इंतज़ार कर रहे थे। सुभाष चौक तक आते आते रंग बिरंगी हरी, नीली, पीली, लाल झंडियों और ख़ानक़ाही पताकाओं से सजे लोगों का मजमा लाखों लोगों के रैले में बदल गया। जगह जगह लोगों ने जुलूस में चलने वाले लोगों के लिए नाश्ते, आराम, मेडिकल, पानी, फल और चाय शर्बत का इंतज़ाम किया हुआ था। जुलूस में चल रहे मुफ़्ती अब्दुल सत्तार रज़वी की एक झलक पाने के लिए लोग बेक़रार नज़र आए।
जलसे मे चल रहे मुख्य मुफ़्ती अब्दुल सत्तार रज़वी और मुख्य वक्ता सैयद मुहम्मद क़ादरी की एक झलक पाने और उनका हाथ चूमने को लेकर लोगों में होड़ लग गई । काफ़ी मशक्कत के बाद लोगों को हटाया जा सका। बाद में सभा में मंच पर जैसे ही दोनों वक्ता पहुँचे लोगों ने ‘नारा ए तकबीर अल्लाहू अकबर’ और ‘नारा ए रिसालत या रसूलल्लाह’ से आसमान गुंजायमान कर दिया।
शाम को सूर्यास्त तक मग़रिब की नमाज़ के समय जुलूस करबला मैदान पहुँचकर एक सभा में तब्दील हो गया। जहाँ पहले से मजमा सजा था। सभा में मुख्य वक्ताओं ने अपने संबोधन से ईद मीलादुन्नबी और देशप्रेम एवं सूफ़ीवाद के संबंध को स्पष्ट किया। इस अवसर पर कई नातख़्वाहों ने अपने कलाम पेश किए। लोगों से सूफ़ीवाद और देशप्रेम के जज़्बे को कामयाब बनाने की अपील के साथ देर रात जलसा समाप्त हो गया।