युवाओं और छात्रों के हितों को कुचलने का काम कर रही है भाजपा सरकार : नीरज कुंदन
लखनऊ: भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुन्दन के आज यहां राजधानी लखनऊ में आयोजित – नौकरी दो या डिग्री वापस लो’ छात्र महासम्मेलन में पहुंचने पर एयरपोर्ट पर सैंकड़ों छात्रों और युवाओं ने एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अनस रहमान के नेतृत्व में जोरदार स्वागत किया।
इस मौके पर नौकरी दो या डिग्री वापस लो छात्र महासम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुन्दन ने कहा कि छात्र अपने मन की बात सुनना चाहता है, दूसरे के मन की बात सुनना नहीं चाहता। एनएसयूआई छात्र हितों के लिए लगातार सड़कों पर संघर्ष करती है। उन्होने कहाकि जो नेता अपने मन की बात करते हैं छात्र उसे सुनना पसन्द नहीं करता। काशी विद्यापीठ के छात्र संघ चुनाव के आये रिजल्ट पर उन्होने कहा कि इससे यह साफ हो गया है कि कांग्रेस की नीतियां छात्रों और युवाओं की पसन्द है।
उन्होने कहा कि उ0प्र0 में भर्तियां नहीं हो रहीं, जो भर्ती निकल रही है वह सब घोटाले की भेंट चढ़ रहीं हैं। उ0प्र0 में लगातार युवाओं और छात्रों के हितों को कुचलने का काम भाजपा की सरकार कर रही है। इसके विरोध में पूरे प्रदेश के छात्र लामबन्द हो रहे हैं। उन्होने कहा कि आज देश में बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे अधिक है। 2014 में, भाजपा ने हर साल दो करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा किया था और अब, यह आंकड़ा 12 करोड़ तक पहुंच गया है। उन्होने कहा कि आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव में एनएसयूआई पूरी ताकत के साथ कांग्रेस पार्टी को सत्ता में पहुंचाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करेगी। उन्होने घोषणा की कि एनएसयूआई ‘नौकरी दो या डिग्री वापस लो’ के तहत आगामी 12 मार्च 2021 को दिल्ली में संसद का घेराव करेगी।
कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह ने छात्रों और युवाओं को छात्र हितों को लेकर, बेरोजगारी के मुद्दे पर और अधिक आक्राकमता के साथ सड़कों पर उतरकर संघर्ष करने का आवाहन किया। उन्होने कहा कि प्रदेश की योगी सरकार आज छात्रों और युवाओं पर तानाशाही रवैया अपना रही है।
एनएसयूआई उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अनस रहमान ने कहा कि एनएसयूआई ने केंद्र सरकार के खिलाफ नौकरी दो या डिग्री वापस लो अभियान शुरू किया है इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सरकार की असलियत की ओर इशारा करना है, जिसे युवाओं को रोजगार देने में कोई दिलचस्पी नहीं है। छात्र और युवा दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं।