बलराज मधोक के अनछुए पहलू (जयंती 25 फ़रवरी पर विशेष)
-दीवान सुशील पुरी
मधोक जी संघ परिवार के एक मात्र ऐसे लीडर थे ,जिनको पूरी कश्मीर की जानकारी थी। मधोक जी का जन्म 25 फरवरी 1920 को स्कर्दू नगर में हुआ । उनका बचपन स्कर्दू , लेह तथा कश्मीर घाटी के श्रीनगर और बारामुला में बीता l
अक्टूबर, 1947 में कबालियों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया था l महाराजा हरि सिंह जी ने इस संकट की घड़ी में श्रीनगर की सुरक्षा की जिम्मेदारी मधोक जी को सौंपी थी , क्योकि मधोक जी उस समय राज्य के संघ प्रमुख थे। उन्होंने भारतीय सेना के आने तक संघ के लगभग 200 स्वयंसेवकों को महाराजा की मदद राइफल प्रशिक्षण देकर श्रीनगर की सुरक्षा का दायित्व बखूबी निभाया था l जब शेख अब्दुल्ला को मधोक जी की गतिविधियों की जानकारी मिली तो उसने ना केवल उन्हें अपितु उनके समस्त परिवार को भी राज्य से निष्कासित कर दिया l मधोक जी का कार्यक्षेत्र दिल्ली और संपूर्ण भारत बन गया l
21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की घोषणा की गई डॉक्टर मुखर्जी को संस्थापक व अध्यक्ष मधोक जी को राष्ट्रीय मंत्री बनाया गया l फरवरी 1952 के आम चुनाव में जनसंघ के 80 उम्मीदवार खड़े किए जिसमें कुल 3 विजय हुए l उनमें से एक डॉक्टर मुखर्जी , दूसरे उनके बंगाल के साथी बंधोपाध्याय जी एवं तीसरे श्री उमा शंकर त्रिवेदी जी थे l मधोक जी 1965 से 1967 तक जन संघ के अध्यक्ष रहे। 1967 के आम चुनाव से पहले क्षेत्रीय दलों से गठजोड़ कर लोकसभा में 100 सीटें जीती l मधोक जी सांसद के रूप में 1960 में नई दिल्ली और 1967 में दक्षिणी दिल्ली से निर्वाचित हुए l
मधोक जी को अंग्रेजी और हिंदी में काफी कमांड था , अपनी भाषण शैली की वजह से संसद में छा गए थे। पूर्व राष्ट्रपति डॉ नीलम संजीव रेड्डी(जब लोकसभा में स्पीकर थे) ने कहा कि मधोक अकेले ही 350 सांसद सदस्यों पर भारी है। सरकार द्वारा गोवा , दमन-दीव के प्रश्न पर कायरता दिखाने पर मधोक जी ने जवाहर लाल नेहरू जी को ललकार कर कहा था कि आप भारत के प्रधानमंत्री रहने योग्य नहीं। आप अपने विचारों को तिलांजलि दे दीजिये या कुर्सी को।
1967 में लोकसभा में श्री राम जन्मभूमि , श्री कृष्ण जन्मभूमि एवं काशी विश्वनाथ मंदिर पर मुस्लिम शासकों द्वारा वास्तविक रूप नष्ट कर इनके ऊपर व समीप मस्जिदें खड़ी कर ऐसा प्रश्न किया था, जिसका कांग्रेस मंत्री संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए थे l उपर्युक्त जगहों पर मधोक जी के साथ मुझे (सुशील पुरी)भी कई बार जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। दीनदयाल जी के निधन के बाद मधोक जी की राजनीती में उथल-पुथल आ गया था। एक दिन उनको जनसंघ कार्यालय में बुलाया गया कि प्रत्याशियों का चयन करना है , जबकि चुनाव नहीं थे। लोगों ने कहा दीनदयाल जी के निधन के बाद जनता आपको ही जनसंघ का नेता मानती है। इसलिए आप जनसंघ के सदस्यता से त्यागपत्र दे दें। इस बात पर मधोक जी ने कहा कि -“मैं जनसंघ का संस्थापपक सदस्य हूँ , मैं त्यागपत्र नहीं दूँगा, अगर आपलोग देना चाहते हैं तो दे दें।“ इस पर सब हक्के-बक्के रह गए।
जनसंघ का अधिवेशन फ़रवरी 1973 को कानपुर में होने वाला था, उसमें लालकृष्ण आडवाणी जी अध्यक्ष पद का भार अटल जी से लेने वाले थे। अधिवेशन से एक दिन पूर्व मधोक जी द्वारा दिया गया प्रतिवेदन , जिसमें संघ और कई नीतियों को जनसंघ में संगठन मंत्री नियुक्त करने की प्रथा से चोट लगी थी। इसलिए मधोक जी को पार्टी छोड़ने के लिए बाध्य किया। मधोक जी का कानपुर से लौट आने का लाभ उठाकर जनसंघ से निकलने की षड्यंत्र का अंतिम रूप देने का फैसला किया।
राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में मधोक जी ने कई किताबें लिखी , जिसमें मुस्लिम सांसदों द्वारा “हिंदू राज्य तर्क तथ्य” एवं “इतिहास की कसौटी ” पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की गई l तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी इस पुस्तक से बड़ी प्रभावित हुई और मधोक जी को अपनी सरकार में शामिल होने के लिए न्योता दिया , लेकिन मधोक जी ने इसे ठुकरा दिया । अगर वह महत्वाकांक्षी होते तो कांग्रेस में मंत्री होते।
उधर संजय गाँधी जी भी मधोक से मिलना चाहते थे। इसकी जानकारी डॉ. गोकुलचंद नारंग के पोते और संजय गाँधी जी के मित्रों ने दी कि संजय गांधी का एक विश्वसनीय व्यक्ति 23-06-1981 को आपके घर पर मिलने आएगा और मिलने का स्थान और समय तय करेगा l मधोक जी प्रातः काल समाचार पत्र पढ़ रहे थे कि दूरभाष की घंटी बजी और बताया गया कि संजय गांधी का विमान दुर्घटना में निधन हो गया है l
मधोक जी जब लखनऊ आते थे तो मेरे घर पर ही रुकते थे , एक बार उन्होंने कहा सुबह हरदोई जाना है l तब मेरे पास एंबेसडर कार थी l हम लोग सुबह ही लगभग 5:00 बजे निकल पड़े , कार में अखिल भारतीय जनसंघ का भगवा झंडा लगा था l हम लोग संडीला में नाश्ता करने के लिए रुके l कुछ शरारती तत्वों ने गाड़ी के अगले दोनों पहियों के नट-बोल्ट ढीले कर दिए l
संडीला से आगे एक नाला पड़ता है , वहां पर एक पुल बना हुआ है , जब हमारी गाड़ी उस पुल पर बढ़ रही थी तब एक झटके के साथ गाड़ी के दोनों पहिए खुल गए और गाड़ी गड्ढे में गिर गई l मुझे भी चोट आई और मधोक जी को भी काफी चोट आई थी l तभी संयोगवश उधर से डी.एम. की जीप आ रही थी। डी.एम. और ट्रक वालों ने हम लोगों को गड्ढे से निकाला और संडीला में उपचार कराने के उपरांत डी.एम. ने कार रोककर बलरामपुर हॉस्पिटल, लखनऊ छुडवाया था l इस दुर्घटना की सूचना उसी रात दूरदर्शन ने प्रसारित कर दी थी । दूसरे दिन सभी समाचार पत्रों में उनके एक्सीडेंट की खबर प्रकाशित हुई थी l पूरे भारतवर्ष से लगभग हजारों लोग मधोक जी का हाल-चाल लेने पहुंचे थे ,परंतु भाजपा के उच्च अधिकारी,जो मधोक जी के सहयोगी रह चुके थे, वह सभी चुप्पी साधे थे , कोई भी उनका हाल-चाल लेने नहीं आया l
लखनऊ के लोगों की मधोक जी के प्रति आस्था पैदा हो गई थी। पूरा वातावरण हिन्दुमय हो गया था। लोगों के आग्रह पर मधोक जी लखनऊ (1989 )से सांसद के लिए लड़े। कद छोटा होने के कारण डी.सी.एम. में तख़्त लगा कर उसपर खड़े होकर भाषण देते थे और उनको सुनने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ इकट्ठी हो जाती थी। संत कुमार यादव और प्रधान सिंह बग्गा थ्री व्हीलर से अनाउंस करते थे कि मधोक जी फलाने चौराहे पर स्पीच देंगे। भाजपा के लोग खुलकर सामने नहीं आ रहे थे , लेकिन अंदर ही अंदर सब साथ दे रहे थे। समाचारपत्रों ने भी बड़ा साथ दिया और लिखा था – ” न बैनर है न पर्चा है , मधोक की चर्चा है “। कई बैंकों ने पोस्टर बनवा कर दिए थे l चुनाव चिन्ह “तीर-कमान” और ऊपर हिंदू गौरव लिखा था । मधोक जी का नारा था – “जो हिंदू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा ”।
बीबीसी लंदन ने कहा था- मधोक जी एक लाख से अधिक वोंटों से जीतेंगे l इस खबर से अटल जी घबरा गए थे। अटल जी उन दिनों शायद कलकत्ता से वापस आ रहे थे l लखनऊ में एयरपोर्ट पर प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर उन्होंने प्रेस को बताया कि श्री मंधाता सिंह जी को हमारा समर्थन है , न कि मधोक जी को l केवल नवभारत टाइम्स में 2 लाइन की खबर थी, लेकिन इसका भी असर पड़ा था, अटल जी अगर प्रेस कॉन्फ्रेंस न करते तो मधोक जी लखनऊ से सांसद होते l मधोक जी ने हिंदुत्व की अलख जगा दी , जिसका लाभ आने वाले नेताओं को मिला।
पर्चा भरते समय मोदी जी ने मधोक जी से आशीर्वाद लिया था । मधोक जी का जब स्वर्गवास हुआ , तो उनके घर पर मोदी जी, अमित शाह जी एवं अन्य कई बड़े नेतागण पहुंचे थे । आनंदीबेन पटेल (तत्कालीन राज्यपाल मध्य प्रदेश , अब उत्तर प्रदेश) ने ट्वीट की थी “बलराज मधोक वाज सेल्फ लेस लीडर , हू स्पेंट हिज एंटायर लाईफ इन दी सर्विस ऑफ़ दी नेशन ।” मधोक जी जो देश के लिए चाहते थे , वह काफी हद तक मोदी जी ने पूरा कर दिया।
(लेखक : प्रोफ़ेसर बलराज मधोक (पूर्व सांसद ) के सगे भाई के दामाद और “शहीद स्मृति समारोह समिति”के उपाध्यक्ष हैं।)
: ( दीवान सुशील पुरी )
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