आम बजट: ठगा रह गया किसान, कृषि से जुड़ी कई महत्वपूर्ण योजनाओं का बजट हुआ कम
- कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़ी कई महत्वपूर्ण योजनाओं का बजट कम
- 5.1 फीसदी से घटकर 4.3 फीसदी रह गया कृषि बजट
- उर्वरक और खाद्य सब्सिडी में बड़ी कटौती
- पीएम-किसान की धनराशि में दस हज़ार करोड़ की कमी
नई दिल्ली: दो महीने से किसान आंदोलन का सामना कर रही केंद्र सरकार ने उम्मीदों के विपरीत कृषि और ग्रामीण विकास के बजट में कटौती कर दी है। इसके तहत कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़ी कई महत्वपूर्ण योजनाओं का बजट कम हुआ है।
इस बार बजट में कृषि और संबद्धित क्षेत्रों के लिए कुल 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। जो पिछले साल 1.54 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह कृषि क्षेत्र का बजट कुल बजट के करीब 5.1 फीसदी से घटकर 4.3 फीसदी रह गया है। ग्रामीण विकास के लिए 1.94 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जो वर्ष 2020-21 में 2.16 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से कम है। इसी तरह तो मनरेगा का बजट पिछले वर्ष 1.11 लाख करोड़ रुपये से घटाकर 73 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है।
कृषि मंडियों को एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के दायरे में जरूर लाया गया है लेकिन पूरी योजना के लिए केवल 900 करोड़ रुपये का प्रावधान है।
कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग का बजट 2020-21 में 1.34 लाख करोड़ रुपये था जो घटकर 1.23 लाख करोड़ रुपये रह गया है। कृषि शोध एवं शिक्षा विभाग का बजट पिछले साल 8363 करोड़ रुपये था, जो अब 8513 करोड़ रुपये है। इस तरह, कृषि मंत्रालय के बजट में लगभग 11 हजार करोड़ रुपये की कटौती हुई है।
पीएम-किसान की धनराशि में पिछले साल बजट के 75 हजार करोड़ रुपये की तुलना में घटाकर 65 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है।
उपजों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए बने प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड के लिए 11800 करोड़ रुपये के गत वर्ष संशोधित अनुमान के मुकाबले इस बार सिर्फ 2700 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का बजट भी 19500 करोड़ रुपये से घटकर 15000 करोड़ रह गया है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के बजट में उर्वरक सब्सिडी में भारी कटौती की है। उर्वरक सब्सिडी के लिए चालू वित्त वर्ष में 1.34 लाख करोड़ रुपये का संशोधित अनुमान था, जिसे आगामी वित्त वर्ष में घटाकर 79530 करोड़ रुपये कर दिया है। यूरिया सब्सिडी 94957 करोड़ रुपये से घटकर 58786 करोड़ रुपये और न्यूट्रिएंट सब्सिडी 38990 करोड़ रुपये से घटकर 20762 करोड़ रुपये रह गई है।
एमएसपी पर सरकारी खरीद बढ़ाने के दावों के बीच नए वित्त वर्ष के लिए खाद्य सब्सिडी को 4.22 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से घटाकर 2.42 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। जाहिर है कि नए वित्त वर्ष में खाद्यान्न की सरकारी खरीद को मौजूदा साल के स्तर पर बनाये रखना मुश्किल होगा और सरकारी खरीद में कमी आ सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एमएसपी की व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन किया गया है ताकि सभी जिसों में लागत का डेढ़ गुना दाम मिल सके।