आम बजट से आयकरदाताओं को मिली घोर निराशा
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश कर दिया। बजट में सरकार का फोकस स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर और रिफॉर्म के जरिए अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने पर रहा। वित्त मंत्री ने हेल्थ के बजट में इजाफा किया है। वित्त मंत्री ने कोई नया टैक्स न लगाकर इंडस्ट्री को राहत देने की पहल की है। सरकार राजकोषीय घाटे की परवाह न करते हुए सरकारी खर्च बढ़ाने का एलान किया है।
सरकार ने नई कर व्यवस्था या पुरानी कर व्यवस्था के तहत कर देने के विकल्प को करदाता अपनी मर्जी से चुनने का अधिकार दिया है। व्यक्गितगत आयकर दाताओं को नई कर व्यवस्था के तहत धारा 80 सी, 80डी, एलटीसी, एचआए सहित अन्य सभी कर छूटों का कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है। वित्त मंत्री ने सालाना 5 लाख रुपए से लेकर 7.5 लाख रुपए तक की आय पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया था। पहले 20 प्रतिशत की दर से टैक्स देय था। सालाना 7.5 लाख से 10 लाख रुपए तक की आय पर नई कर व्यवस्था के तहत 15 प्रतिशत टैक्स देय है।
10 लाख रुपए से 12.5 लाख रुपए तक की सालाना आय पर 20 प्रतिशत टैक्स देना होता है। पहले इतनी आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगता था। 12.5 लाख रुपए से 15 लाख रुपए तक सालाना आय वालों को 25 प्रतिशत टैक्स देना पड़ रहा है। 15 लाख रुपए से अधिक सालाना आय वालों को मौजूदा 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लग रहा है।
एक व्यक्ति जो एक साल में 15 लाख रुपए कमाता है और वह कोई भी कर छूट नहीं लेना चाहता है तो उसे केवल 1.95 लाख रुपए का टैक्स देना होगा, जो पहले 2.73 लाख रुपए था। इस तरह उसे एक साल में 78 हजार रुपए का फायदा हो रहा है। वर्तमान में, 2.5 लाख रुपए तक की आय करमुक्त है। 2.5 लाख से 5 लाख रुपए की सालाना आय पर 5 प्रतिशत टैक्स की दर है। कटौती और छूट के साथ इस स्लैब में कर की दर शून्य हो जाती है।
बजट में आयकर दाताओं को बजट में किसी भी तरह अहम राहत का एलान नहीं किया गया है। इनकम टैक्स स्लैब में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, वरिष्ठ नागरिक जो 75 साल से अधिक हैं और उनकी पेंशन व जमा से आय है तो उनकी इनकम टैक्स रिटर्न से छूट देने का एलान किया।