दूसरों में दोष निकालने की आदत में करें सुधार- मोरारी बापू
लखनऊ: संत शिरोमणि मोरारी बापू की रामकथा के आठवें दिन उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में कभी शायरी तो कभी गीत गाकर। विभिन्न प्रसंगों से लोगों को सरल और सादगी भरा जीवन जीने के संदेश दिए। उन्होंने शनिवार को अपने प्रसंगों में रावण की ओर से सीता के अपहरण, जटायु युद्ध, शबरी की कथा को विस्तार से सुनाया। सीतापुर रोड स्थित सेवा अस्पताल के मैदान में उन्होंने बेकल की शायरी 'सादगी श्रंगार बन गई, आईनो का हार हो गई' सुनाने के बाद श्रोताओं को नौ प्रकार की भक्ति के रहस्यों से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि संत का संग करने, कथा के प्रसंग में रहने, गुरु के चरणों की पूजा अमान होकर करने, भगवान का गुणगान करने, मंत्र जपने, अपनी समझ द्वारा इंद्रियों पर नियंत्रण करने, लोगों के गुणों को देखना, पुरुषार्थ से संतुष्ट रहने और सरल रहने मात्र से भक्ति प्राप्त हो सकती है। इसके साथ ही विभिन्न प्रसंगों के दौरान उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में अगर भक्ति का अभास निकल जाए तो मन के अंदर का राम भी निकल जाता है। जटायु और रावण के युद्ध के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि एक समय युद्ध भी धर्म था एक आज का समय है जब धर्म में युद्ध है। सरल जीवन की व्याख्या बताते हुए कहा कि जहां क्षल न हो वही सरल जीवन है। हमारी आदत सी है कि हम सबमें दोष निकलाते हैं। बात उन्होंने 'यहां किसको पत्थर फेंके और कौन पराया है, शीश महल में सब अपने लगते हैं' शायरी से समाप्त की।