सरकार से वार्ता को राज़ी हुए किसान, कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया पूछी
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसानों का आंदोलन 31वें दिन भी जारी है। किसान, दिल्ली के सर्द मौसम में डटे हुए हैं। पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों के किसान ‘दिल्ली चलो’ नारो के साथ राजधानी के लिए कूच किया था। एक महीने बीत जाने के बाद भी इसका समाधान नहीं निकाला जा सका है। कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। केंद्र की ओर किसानों को भेजे गए न्योते पर किसान संगठनों ने सिंघु बार्डर पर बैठक की जिसमें कहा गया कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए। साथ ही कहा कि सरकार किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें।
पूछा- कृषि कानूनों को रद्द करने का तरीका
स्वराज इंडिया के योगेद्र यादव ने कहा कि वार्ता के लिए हमारे एजेंडे में पहले दो बिंदु हैं- तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानूनी गारंटी प्रदान करने के लिए कानून लाने के लिए प्रक्रिया बताई जाए। उन्होंने कहा कि हम 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे केंद्र के साथ वार्ता का एक और दौर आयोजित करने का प्रस्ताव करते हैं।
दुष्प्रचार बंद करे सरकार
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि कृषि मंत्रालय के सचिव की ओर से भेजे गए पत्र में सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की। सरकार ने इसे तोड़मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी। सरकार पत्र में कहती है कि सरकार किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहती है। अगर आप सचमुच ऐसा चाहते हैं तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें।
असम से अमित शाह की अपील
शनिवार को असम में एक सभा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “अभी कुछ लोग कृषि सुधार कानूनों को लेकर बड़ा आंदोलन कर रहे हैं। मैं सभी से इस मौके पर अपील करना चाहता हूं कि आप आगे आइये, सरकार के साथ चर्चा कीजिये और समस्या का समाधान ढूंढ़िए।”
समाधान सरकार के हाथ में है
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, “समाधान निकालना किसान के हाथ में नहीं है, समाधान सरकार निकालेगी। किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपना आंदोलन कर रहे हैं। किसान हारेगा तो सरकार हारेगी और किसान जीतेगा तो सरकार जीतेगी।”
आंदोलन में राजस्थान शिक्षक संघ हुआ शामिल
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर चल रहे विरोध प्रदर्शन में राजस्थान शिक्षक संघ शामिल हुआ। संगठन के एक प्रतिनिधि ने बताया, “हमारे संगठन ने सरकार के खिलाफ राजस्थान में जगह-जगह प्रदर्शन किए हैं। इन कानूनों का प्रभाव पूरे मध्यम वर्ग पर पड़ेगा।”