रेशमी रूमाल तहरीक के जनक शेखुल हिंद को किया गया याद
देवबन्द।दारुल उलूम देवबन्द के पहले छात्र और महान स्वतंत्र सैनानी शेखुल हिंद मौलान महमूद हसन देवबन्दी के इंतकाल को 100 वर्ष पूरे होने पर एक सभा का आयोजन किया गया और उन्हें याद किया गया उनकी देश एवं धर्म की सेवाओं पर प्रकाश डाला गया, साथ उन्हें खिराज-ए-अक़ीदत पेश करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया।
अंग्रेजों के खिलाफ छेड़ी गई आजादी की मुहिम “रेशमी रुमाल तहरीक” के जनक शेखुल हिंद मौलना महमूद हसन देवबन्दी के देश की जंगे आजादी में दिए गए अहम योगदान और जीवन पर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि शेखुल हिंद की सेवाओं के लिए उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए था वो नहीं दिया गया है जिस के लिए सरकारों के साथ-साथ हम सब भी बराबर के ज़िम्मेदार हैं क्योंकि हमने शैखुल हिन्द के अज़ीम कारनामों से ना तो खुद सबक़ लिया और ना ही सही ढंग से उन्हें अपने छोटों तक पहुंचाया।
देवबन्द के मोहल्ला अबुलमाली स्थित आस्ताना-ए-शेखुल हिंद में सोमवार को आयोजित हुई सभा में विश्व विख्यात प्रख्यात शायर एवं शिक्षाविद डा. नवाज देवबन्दी ने कहा कि शेखुल हिंद मौलाना महमूद हसन ने स्वतंत्रता आंदोलन, शिक्षा, राजनीति और सेवाभाव के क्षेत्र में अपने महान कारनामे अंजाम दिए।वह दारुल उलूम देवबन्द के प्रथम छात्र थे और आपने संरक्षक के रूप में विश्व स्तर पर दारुल उलूम देवबन्द का नेतृत्व किया और स्वतंत्रता आंदोलन महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अलीगढ़ से आए डा. उबेद इकबाल आसिम ने कहा कि हजरत शेखुल हिंद ने रेशमी रुमाल आंदोलन के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गोरों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। साथ ही अंग्रेजों के विरुद्ध हिंदू मुस्लिम सहित अन्यों को भी एकजुट किया। वरिष्ठ लेखक मौलाना नसीम अख्तर शाह कैसर ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए मौलाना महमूद हसन देवबन्दी को हमेशा याद किया जाता रहेगा।
हजरत शेखुल हिंद की शिक्षाओं को आम करना और उसे युवा पीढ़ी तक पहुंचाना ही, उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। संचालन वरिष्ठ पत्रकार अशरफ उस्मानी ने किया। इस अवसर पर पत्रकार कमल देवबन्दी, साद अहमद , अब्दुल्ला उस्मानी, हाजी रियाज महमूद, उमर इलाही, नबील मसूदी, अतीक अहमद, आरिफ उस्मानी आदि मौजूद रहे।